Social Media : सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार गर्म होता है और इसके चलते स्थिति किस कदर विस्फोटक बन जाती है इसका उदाहरण महाराष्ट्र है। त्रिपुरा में जो घटना हुई ही नहीं उसे लेकर महाराष्ट्र में अफवाह की आग इस कदर फैली कि कई शहर दंगो की चपेट में आ गए और कफ्र्यू लगाने की नौबत आ गई। महाराष्ट्र पुलिस इन दंगों की जांच कर रही है और कुछ लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई है लेकिन जिन लोगों ने अफवाह की आग को हवा देने का काम किया था वे अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है।
दरअसल सोशल मीडिया जहां एक ओर वरदान है वहीं इसका स्याह पहलू यह भी है कि इसे कुछ अराजक तत्व अभिषाप भी आसानी से बना लेते है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म का दुरूपयोग कर अफवाहें फैलाई जाती है और शहर के शहर दंगों की आग में झोंक दिए जाते है। यही वजह है कि किसी संवेदनशील मुद्दे को लेकर संबंधित राज्य सरकारें उन क्षेत्र विशेष में सोशल मीडिया (Social Media) पर अस्थाई रूप से प्रतिबंध लगा देती है किन्तु प्रतिबंध हटते ही फिर वहीं खेल शुरू हो जाता है। इसलिए यह आवश्यक है कि देश के सांप्रदायिक माहोल को बिगाडऩे वाली ऐसी अफवाहों पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाएं जाएं।
अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाए तभी वे बाज आएंगे। मौजूदा कानूनों के तहत अफवाह फैलाने वाले सस्ते में छूट जाते है और ज्यादातर तो कानून की पकड़ में नहीं आ पाते। यही वजह है कि ऐसे अराजक तत्वों के हौसले बुलंद है। देश में कहीं भी कोई घटना हो या न हो ऐसे तत्व उन घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देकर परस्पर सद्भव के माहौल को बिगाडऩे में लग जाते है। भविष्य में ऐसा न हो इसलिए यह जरूरी है कि सरकार सोशल मीडिया (Social Media) के दुरूपयोग पर रोक लगाने के लिए प्रभावी प्रहल करें।
यह ठीक है कि भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान की है लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर खतरनाक अफवाहें फैलाने की इजाजत हरकिज नहीं दी जा सकती। सोशल मीडिया के लिए भी दिशा निर्देश बनाने होंगे और जो लोग इसका दुरूपयोग करते है उनके लिए कड़ी सजा सुनिश्चित करनी होगी तभी इस तरह की अफवाहों पर विराम लग पाएगा।