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कांकेर का सीताफल है खास, दूर-दूर तक पहुंच रही मिठास

Sitaphal Sweetness season Delicious Nutritious Kanker district

Sitaphal

महिलाओं सहित अन्य को 25 लाख रुपये तक होगा लाभ

इस वर्ष 200 टन सीताफल विपणन का है लक्ष्य

जिले में 3 लाख 19 हजार है सीताफल के पौधे

कांकेर। सीताफल (Sitaphal) का स्वाद आखिर कौन नही लेना चाहता। इसकी मिठास (Sweetness) और स्वाद (Taste) इतना बढिय़ा है कि सीजन (season) में इस फल को हर कोई स्वाद चखना चाहता है। यह फल जितना मीठा है, उतना ही स्वादिष्ट (Delicious) और पौष्टिक (Nutritious) भी है।

कांकेर जिले (Kanker district) में इस फल की न सिर्फ प्राकृतिक रूप से खूब पैदावार हो रही है, हर साल उत्पादन एवं विपणन भी बढ़ रहा है। कांकेर (Kanker district) के सीताफल (Sitaphal) की अपनी अलग विशेषता होने की वजह से ही अन्य स्थानों से भी इस फल की डिमांड आ रही है।

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स्थानीय प्रशासन द्वारा सीताफल को न सिर्फ विशेष रूप से ब्रांडिंग, पैकेजिंग एवं मार्केटिंग में सहयोग कर इससे जुड़ी महिला स्व सहायता समूह को लाभ पहुंचाने का काम किया जा रहा है। उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी दिया जा रहा है।

इसी का परिणाम है कि इस वर्ष सीताफल (Sitaphal) का ग्रेडिंग और संग्रहण करने वाली स्व सहायता की महिलाओं एवं इससे जुड़े पुरुषों को लगभग 25 लाख रुपये तक की आमदनी होने की उम्मीद है। प्रशासन द्वारा कांकेर वैली फ्रेश सीताफल के रूप में अलग-अलग ग्रेडिंग कर 200 टन विपणन का लक्ष्य रखा गया हैं।

वैसे तो सीताफल (Sitaphal) का उत्पादन अन्य जिलों में भी होता है लेकिन कांकेर जिला का यह सीताफल राज्य में प्रसिद्ध है। यहाँ प्राकृतिक रूप से उत्पादित सीताफल के 3 लाख 19 हजार पौधे हैं, जिससे प्रतिवर्ष अक्टूबर से नवम्बर माह तक 6 हजार टन सीताफल का उत्पादन होता है। यहां के सीताफल के पौधौ में किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद या कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है।

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यह पूरी तरह जैविक होता है। इसलिए यह स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी होता हैं। यहां से प्राकृतिक रूप से उत्पादित सीताफल (Sitaphal) को आसपास की ग्रामीण महिलाएं एवं पुरूष संग्रह कर बेचते आ रहे हैं। इससे थोड़ी बहुत आमदनी उनको हो जाती थी। लेकिन उन्हें पहले कोई ऐसा मार्गदर्शक नही मिला जो मेहनत का सही दाम दिला सके।

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