डॉ. सुरभि सहाय। Single use Plastic : आगामी एक जुलाई से देश में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होगा। सिंगल यूज प्लास्टिक, नाम से ही साफ है कि ऐसे प्रोडक्ट जिनका एक बार इस्तेमाल करने के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है। इसे आसानी से डिस्पोज नहीं किया जा सकता है। साथ ही इन्हें रिसाइकिल भी नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि प्रदूषण को बढ़ाने में सिंगल यूज प्लास्टिक की अहम भूमिका होती है।
सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूर्णत: रोकथाम लगाने के लिये लोगों को प्लास्टिक का विकल्प मुहैया कराना होगा। उन्होंने कहा कि 80 के दशक के पूर्व में प्लास्टिक का कहीं भी प्रयोग नहीं होता था। उस समय लोग कपड़े, जूट के झोले लेकर चलते थे और खाने में मिट्टी के बर्तन या पत्तल का प्रयोग करते थे। धरती को बचाने के लिए हमें वापस उसी पुरानी व्यवस्था में चलना होगा। 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से अपील की थी कि वे देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त बनाएं और इस दिशा में सरकार के अभियान में पूरे मन से हिस्सा लें।
उन्होंने देश के तकनीकी विशेषज्ञों से जोर देकर कहा था कि वे प्लास्टिक के दोबारा उपयोग और रिसाइक्लिंग के बेहतर उपाय निकालें। प्रधानमंत्री ने दुकानदारों से भी अुनरोध किया था कि वे पॉलीथीन में सामान न बेचें और साथ ही लोगों से कहा था कि वे इसे लेकर और जागरुक बनें। प्रधानमंत्री ने देश को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त बनाने के मुददे को दिसंबर 2020 में अपने मासिक संबोधन वाले कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भी उठाया था। अब इस दिशा में आगे बढ़ते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 12 अगस्त 2021 को प्लास्टिक कचरा प्रबंधन संशोधित नियम, 2021 की अधिसूूचना जारी की है, जिसका मकसद चिन्हित किए गए बीस सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों पर 2022 के अंत तक रोक लगाना है।
ज्यादातर छोटे और मध्यम श्रेणी के प्लास्टिक उत्पादकों द्वारा तैयार की जाने वाली सिंगल यूज प्लास्टिक (Single use Plastic)पर 30 सिंबतर 2021 से प्रतिबंध लगना शुरू हो चुका था, और 1 जुलाई 2022 तक इन पर पूर्णत: प्रतिबंध लग जाएगा। इस प्रतिबंध में एफएमसीजी, यानी तेजी से आगे बढऩे वाली उपभोक्ता कंपनियों की सिंगल यूज प्लास्टिक को शामिल नहीं किया गया है। एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक वाली जिन वस्तुओं पर बैन होगा।
इनमें 100 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक बैनर शामिल हैं। गुब्बारा, फ्लैग, कैंडी, ईयर बड्स के स्टिक और मिठाई बॉक्स में यूज होने वाली क्लिंग रैप्स भी शामिल हैं। यही नहीं केंद्र सरकार ने कहा है कि 120 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैग को भी 31 दिसंबर 2022 से बंद कर दिया जाएगा। देश में प्रदूषण फैलाने में प्लास्टिक कचरा सबसे बड़ा कारक है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2018-19 में 30.59 लाख टन और 2019-20 में 34 लाख टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा जेनरेट हुआ था।
प्लास्टिक न तो डीकंपोज होते हैं और न ही इन्हें जलाया जा सकता है, क्योंकि इससे जहरीले धुएं और हानिकारक गैसें निकलती हैं। ऐसे में रिसाइक्लिंग के अलावा स्टोरेज करना ही एकमात्र उपाय होता है। प्लास्टिक अलग-अलग रास्तों से होकर नदी और समुद्र में पहुंच जाता है। यही नहीं प्लास्टिक सूक्ष्म कणों में टूटकर पानी में मिल जाता है, जिसे हम माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं। ऐसे में नदी और समुद्र का पानी भी प्रदूषित हो जाता है। यही वजह है कि प्लास्टिक वस्तुओं पर बैन लगने से भारत अपने प्लास्टिक वेस्ट जेनरेशन के आंकड़ों में कमी ला सकेगा।
यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोग्राम यानी यूएनईपी के मुताबिक दुनियाभर में आधे से अधिक प्लास्टिक को सिर्फ एक बार यूज करने के लिए डिजाइन किया गया है। यही वजह है कि दुनिया में हर साल लगभग 30 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। 1950 के दशक में प्लास्टिक की शुरुआत के बाद से अब तक 8.3 अरब मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन किया गया है।
1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाए जाने का विरोध अमूल और पारले जैसी बड़ी कंपनियां कर रही हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि पारले कंपनी की फ्रूटी और एप्पी फिज समेत 10 प्रोडक्ट के लिए हर रोज 15 से 20 लाख प्लास्टिक स्ट्रा की जरूरत होती है। इसी तरह पारले एग्रो और डाबर जैसी कंपनियों को भी हर रोज लाखों स्ट्रा की जरूरत होती है। ऐसे में ये कंपनियां सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाए जाने का इन 3 वजहों से विरोध कर रही हैं। पेपर स्ट्रा का आसानी से उप्लब्ध नहीं हो पाना। प्लास्टिक स्ट्रा की तुलना में पेपर स्ट्रा की कीमत 5 से 7 गुना ज्यादा होना।. पेपर स्ट्रा बनाने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए कुछ समय दिए जाने की मांग करना।
सिंगल यूज प्लास्टिक के बैन होने पर अलग-अलग चीजों के लिए अलग-अलग विकल्प हो सकते हैं। जैसे- प्लास्टिक के स्ट्रा की जगह पेपर स्ट्रा। इसी तरह बांस से बनी ईयर बड्स स्टिक, बांस से बनी आइसक्रीम स्टिक, कागज और कपड़े से बने झंडे, परंपरागत मिट्टी के बर्तन आदि का इस्तेमाल सिंगल यूज प्लास्टिक की जगह पर किया जा सकता है। एनवायरनमेंट एक्सपट्र्स का मानना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक बैन तभी सफल होगा जब आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता हो और आसानी से सिंगल यूज प्लास्टिक के दूसरे विकल्प लोगों के सामने उपलब्ध हों।
इसके साथ ही किसी सामान में ऐसे प्लास्टिक का इस्तेमाल होना चाहिए जिसे आसानी से रिसाइकिल किया जा सके। दुनिया भर की कई सरकारें सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ कड़े फैसले ले रही हैं। ताइवान ने 2019 से प्लास्टिक बैग, स्ट्रॉ, बर्तन और कप पर प्रतिबंध लगा दिया है। हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के लिए 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जाएगी। राज्य में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लोगों में सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न माध्यमों से अभियान भी चलाया है।
बिहार में भी एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध रहेगा। केंद्र सरकार की एक साल पहले जारी अधिसूचना के अनुसार बिहार में भी 120 माक्रोन की मोटाई वाले प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग पर पूरी तरह से रोक रहेगी। प्लास्टिक से बने कैरी बैग, प्लेटें, कप, गुब्बारों की डंडियां, चम्मच आदि का उपयोग कोई नहीं कर सकेगा। इसके अलावा कोई भी प्लास्टिक की इन वस्तुओं का निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग नहीं कर पाएगा। ह्ययूपी में भी सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक की तैयारी है। वहीं कई दूसरे राज्यों में भी इस प्रकार की तैयारियां हो रही हैं।
दुनिया की बात की जाए तो दक्षिण कोरिया ने बड़े सुपर मार्केट में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही वहां इस प्रतिबंध के उल्लंघन करने वालों पर करीब 2 लाख जुर्माना लगाया जाता है। भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश ने भी 2002 में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया था। केन्या, न्ज्ञ, ताइवान, न्यूजीलैंड, कनाडा, फ्रांस और अमेरिका में भी सिंगल यूज प्लास्टिक पर कुछ शर्तों के साथ बैन लगाया गया है।
प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण (Single use Plastic) से वैश्विक लड़ाई में सरकार की नई अधिसूचना का संवाद के स्तर तो काफी महत्व है लेकिन प्लास्टिक कचरे के निर्माण और इसकी रिसाइक्ल्ंिग से जुड़े अंाकड़ों के न होने से जमीनी धरातल पर इसका असर नहीं मापा जा सकता। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रतिबंधित किए जाने वाले बीस सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद होने से हमारे कचरा इक_ा करने वाले मैदानों पर बोझ कितना कम होगा।