Silk Production : कोसा उत्पादन में कोरिया अग्रणी जिलों में शामिल, इतना हुआ उत्पादन

Silk Production : कोसा उत्पादन में कोरिया अग्रणी जिलों में शामिल, इतना हुआ उत्पादन

Silk Production: Korea is one of the leading districts in silk production, so much production

Silk Production

रायपुर/नवप्रदेश। Silk Production : कोसा उत्पादन में देश में प्रमुख स्थान रखने वाले छत्तीसगढ़ राज्य के पारम्परिक मनमोहक रेशमी कपडों ने राज्य को विशिष्ट पहचान दिलाई है। राज्य में कोसा उत्पादन के मामले में कोरिया जिला भी अग्रणी जिलों में शामिल हो गया है। यहां उत्पादित कोसा फल राज्य के चाम्पा जांजगीर जिले के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के कोसा कपड़े उत्पादक जिलों में आपूर्ति की जा रही है। जिले में कोसा फलों के उत्पादन में बड़ी संख्या में महिला स्व-सहायता समूह जुड़ी हुई है। वर्तमान में इस कार्य से 15 समूहों में 215 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है।

इस बार 4 लाख से अधिक की हुई वृद्धि

रेशम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में वर्ष 2021-22 में अब तक 19 लाख 17 हजार 344 कोसा उत्पादित किया गया है। बीते वर्ष यहां 14 लाख 89 हजार 581 नग कोसे का उत्पादन (Silk Production) हुआ। पिछले बार की तुलना में इस बार उत्पादन में 4 लाख 27 हज़ार 763 नग कोसा उत्पादन की बढ़ोतरी हुई है। यहां कोसा की तीन प्रजातियों के कीड़ा पालने का कार्य किया जाता है जिसमे शहतूत (मलबरी) कृमिपालन, टसर (डाबा) कीटपालन एवं नैसर्गिक रैली कोसा कीट पालन शामिल है। 

चाम्पा से पश्चिम बंगाल तक की जा रही है आपूर्ति

अधिकारियों ने बताया कि जिले में 15 उत्पादन केंद्रों में 127 हेक्टेयर भूमि पर 3 लाख 74 हजार पौधों में कोसा कीट पालन किया जा रहा है। यहां उत्पादित कोसा फलों का विक्रय खपत के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में भी किया जा रहा है। इस वर्ष 16 लाख 91 हज़ार 641 रुपये की कीमत के 13 लाख 36 हज़ार 829 नग कोसा पश्चिम बंगाल और चाम्पा को विक्रय किया गया है।

महिला समूहों को मिल रहा है रोजगार 

बैकुंठपुर विकासखण्ड के जामपारा कोसा उत्पादन केंद्र में रेशम महिला स्वसहायता समूह की 70 महिलाओं द्वारा रेशम उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। महिलाओं ने अब तक 3 लाख रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया है। समूह की महिला श्रीमति अन्नपूर्णा सिंह ने बताया कि समूह के द्वारा 1 लाख 20 हजार टसर एवं 20 किलो रेशम धागे का उत्पादन किया गया है। उन्होंने बताया कि रेशम उत्पादन के लिए 25 महिलाओं को एक सप्ताह के प्रशिक्षण के लिए रेशम विभाग की ओर से जांजगीर चाम्पा जिले भेजा गया। विधिवत प्रशिक्षण उपरांत समूह ने रेशम उत्पादन का कार्य शुरू किया।

समूह की अन्नपूर्णा ने बताया कि रेशम उत्पादन के लिए हमे रेशम विभाग (Silk Production) की तरफ से 12 रुपए प्रति थैली अंडे मिलते है, जिसमें 200-300 अंडे होते हैं। इन अंडों को अर्जुन एवं साल वृक्ष के पत्तों पर छोड़ दिया जाता है, जिनमे 2-3 दिनों में रेशम के कीड़े निकल आते है और 40 से 45 दिनों में ये कीड़े कोकून का निर्माण करते है। कोकून निर्माण के समय उचित देखभाल की आवश्यकता होती है। समय-समय पर दवाइयों का भी छिड़काव किया जाता है। कोकून से रेशम निकालने के लिए स्पिनिंग मशीन, बुनियार मशीन का उपयोग किया जाता है।

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