हिंदू पक्ष का दावा- ईदगाह गर्भगृह की जमीन पर
नवप्रदेश डेस्क। Shri Krishna Janmabhoomi Case : मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। आज गुरुवार को जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया कि हिंदू पक्ष की 18 याचिकाएं एकसाथ सुनी जाएगी।
मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि 1968 में हुए समझौते के तहत मस्जिद के लिए जगह दी गई थी। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं।
हिंदू पक्षकारों के 11 तर्क
- ढाई एकड़ में बनी शाही ईदगाह कोई मस्जिद नहीं है।
- ईदगाह में केवल सालभर में 2 बार नमाज पढ़ी जाती है।
- ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ एरिया भगवान कृष्ण का गर्भगृह है।
- सियासी षड्यंत्र के तहत ईदगाह का निर्माण कराया गया था।
- प्रतिवादी के पास कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है।
- मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है।
- जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव का है।
- बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के वक्फ संपत्ति घोषित कर दी।
- भवन पुरातत्व विभाग से संरक्षित घोषित है।
- पुरातत्व विभाग (ASI) ने नजूल भूमि माना है। इसे वक्फ संपत्ति नहीं कह सकते।
मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें
- समझौता 1968 का है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। मुकदमा सुनवाई लायक नहीं।
- प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत मुकदमा आगे ले जाने के काबिल नहीं है।
- 15 अगस्त 1947 वाले नियम के तहत जो धार्मिक स्थल जैसा है वैसा रहे, उसकी प्रकृति नहीं बदल सकते।
- लिमिटेशन एक्ट, वक्फ अधिनियम के तहत इस मामले को देखा जाए।
- वक्फ ट्रिब्यूनल में सुनवाई हो, यह सिविल कोर्ट में सुना जाने वाला मामला नहीं।