Shiv Sena : महाराष्ट्र में अब तक हिंदुत्व की झंडाबरदार रही शिवसेना को अब महाराष्ट्र नव निर्माण सेना ने कड़ी चुनौती दे दी है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने औरंगाबाद में विशाल रैली कर जो सिंहगर्जना की है उससे शिवसेना का बौखलाना स्वाभाविक है। औरंगाबाद की रैली में लाखों की भीड़ उमड़ी जिसमें मनसे कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी संख्या में शिवसैनिकों के भी शामिल होने का दावा मनसे नेता कर रहे है।
अब इसमें कितनी सच्चाई है यह तो पता नहीं लेकिन यह तो तय है कि शिवसेना (Shiv Sena) के मुखिया और महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सत्ता पाने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी जैसी विपरित विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ मिलकर जो महाअघाड़ी सरकार बनाई है उससे शिवसैनिक खुद को असहज महसूस करने लगे है। शिवसेना के साथ दिक्कत यह है कि वह हिंदुत्व को भी नहीं छोडऩा चाहती और अपनी सत्ता बचाएं रखने के लिए उसे धर्म निर्पेक्षता का लबादा भी ओढऩा पड़ रहा है।
ऐसी स्थिति में शिवसैनिकों के मन में कहीं न कहीं असंतोष उपज रहा है। अब चूंकि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना सामने आ गई है और आक्रामक तेवर दिखा रही है तो शिवसेना में फूट पडऩे का खतरा पैदा हो गया है। मनसे सुप्रीमों राज ठाकरे में लोग बाल ठाकरे की छवि देखने लगे है। राजठाकरे ने अजान के खिलाफ संघर्ष का शंखनाद कर महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया है।
औरंगाबाद की सभा में उन्होने फिर उद्धव सरकार (Shiv Sena) को चेतावनी दी है कि चार मई तक उसे हम मोहलत दे रहे है यदि पांच मई से मस्जिदों से लाऊड स्पीकर नहीं उतारे गए तो मनसे कार्यकर्ता हनुमान चालिसा का पाठ करेंगे और इसके बाद महाराष्ट्र में यदि अप्रीय स्थिति निर्मित होती है तो इसकी जिम्मेदारी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की नहीं होगी। उनकी इस चेतावनी के बाद उद्धव सरकार ने मनसे नेताओं और सक्रीय कार्यकर्ताओं को तड़ीपार करने की कवायद शुरू कर दी है। इससे विवाद और बढ़ सकता है।