Shiv Sena in a dilemma over UBT: वक्फ विधेयक को लेकर शिवसेना यूबीटी पशोपेश में पड़ गई है। संसद में जब वक्फ बिल पेश हुआ तो अन्य विपक्षी पार्टियों की तरह शिवसेना यूबीटी के सांसदों ने भी इस बिल का मुखर विरोध किया। शिवसेना यूबीटी के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने राज्यसभा में इस बिल के खिलाफ लंबा भाषण दिया। शिवसेना के सांसदों ने इस बिल के खिलाफ मतदान भी किया बाद में पत्रकारों से चर्चा करते हुए संजय राउत ने कहा कि संसद में वक्फ बिल पेश होने के पहले भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर उनका समर्थन मांगा था लेकिन उनकी पार्टी ने इस बिल का समर्थन नहीं किया।
संजय राउत के ऐसे बयान के बाद शिवसेना यूबीटी पर भाजपा सहित एनडीए के अन्य पार्टियों द्वारा निशाना साधा गया। सोशल मीडिया पर भी उद्धव ठाकरे के खिलाफ जमकर लोगों ने भड़ास निकाली और यह आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे ने अपने पिता बाल ठाकरे का नाम डूबोकर रख दिया है। सत्ता के मोह में आकर उन्होंने कांग्रेस और शरद पवार के साथ हाथ मिला लिया था और उनकी पार्टी अससुद्दीन ओवैसी के साथ भी खड़ी हो गई है।
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे ने वक्फ बिल को लेकर भाजपा पर यह आरोप भी लगाया था कि वक्फ कानून लागू करने के बाद भाजपा ईसाईयों, जैनियों, बौद्धों और यहां तक की हिन्दुओं के मंदिरों की जमीन पर भी नजर गड़ाए हुए है। भाजपा इनकी जमीनों को अपने मित्रों को देगी। भाजपा को किसी भी समुदाय से कोई प्यार नहीं है। उद्धव ठाकरे के इस बयान के बाद उन्हें जमकर ट्रोल किया जाने लगा था।
शायद इसी से अब उन्होंने सबक लिया है। वक्फ बिल के खिलाफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित आईएनडीआईए में शामिल कई पार्टियों में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और वहां याचिका दाखिल की है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट जल्द ही सुनवाई करने जा रहा है। किन्तु शिवसेना यूबीटी में सुप्रीम कोर्ट में कोई याचिका दाखिल नहीं की है। इस बारे में उद्धव ठाकरे ने स्पष्टीकरण दिया है कि अन्य पार्टियों ने तो याचिका दाखिल कर ही दी है। ऐसे में शिवसेना यूबीटी द्वारा भी याचिका दाखिल करना जरूरी नहीं है। उद्धव ठाकरे के इस बयान के बाद यह अटकलें लगाई जा रहीं है कि वे वक्फ बिल के मामलें में यू-टर्न लेने की कोशिश कर रहे हैं।
दरअसल, शिवसेना यूबीटी के ही कई नेता और कार्यकर्ता वक्फ बिल पर शिवसेना यूबीटी के निर्णय से नाखुश हैं। मुंबई के कई नेताओं ने शिवसेना यूबीटी से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में उद्धव ठाकरे को अपनी बची खुची शिवसेना में फूट पडऩे की संभावना नजर आने लगी है। जिससे वे वक्फ बिल को लेकर असमंजस में पड़ गए हैं। गौरतलब है कि शीघ्र ही मुंबई महानगर पालिका के चुनाव होने जा रहे हैं।
इस चुनाव में शिवसेना यूबीटी के सामने पहले ही कई चुनौतियां हैं। महाअघाड़ी गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर शिवसेना यूबीटी, कांग्रेस और शरद पवार के बीच पहले से ही खींचतान हो रही है। साथ ही यह भी कयास लगाये लजा रहे हैं कि शिवसेना यूबीटी महाअघाड़ी से अलग होकर अकेले अपने बलबूते पर मुंबई महानगरपालिका का चुनाव लड़ सकती है। ऐसे में यदि वक्फ बिल का शिवसेना यूबीटी द्वारा किए गए विरोध के कारण यदि शिवसेना यूबीटी में असंतोष फैलता है तो इसका उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा। यही वजह है कि अब उद्धव ठाकरे वक्फ बिल को लेकर अनिश्चय की स्थिति में आ गए हैं।