Shani Grah In Astrology : ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्याय का देवता माना गया है। यह ग्रह व्यक्ति के कर्म और अनुशासन का सूचक होता है। कुंडली के सभी 12 भावों में शनि की स्थिति का अलग-अलग असर देखने को मिलता है। कुछ भावों में शनि जीवन को संतुलन और स्थिरता देता है, तो कुछ जगह इनका प्रभाव चुनौतियां और बाधाएं लेकर आता है। आइए जानते हैं कि जन्मकुंडली के हर भाव में शनि का प्रभाव कैसा होता है।
प्रथम भाव (लग्न)
लग्न भाव में शनि (Shani Grah In Astrology) व्यक्ति को गंभीर और संयमी बनाता है। ऐसे लोग जीवन के प्रति सजग रहते हैं, लेकिन कई बार आत्मविश्वास की कमी दिखाई देती है।
द्वितीय भाव (धन)
धन भाव में शनि कमजोर हो तो आर्थिक परेशानियां और ससुराल पक्ष से मतभेद हो सकते हैं। विवाह में देरी भी संभव है।
तृतीय भाव (पराक्रम)
इस भाव में शनि दुर्घटनाओं और अनजाने भय का कारण बन सकता है। जीवन में बाधाएं आती हैं, लेकिन भाई-बहनों के लिए यह स्थिति अनुकूल (Shani Grah In Astrology) मानी जाती है।
चतुर्थ भाव (सुख)
यहां शनि बैठे हों तो पारिवारिक सुख में कमी आ सकती है। वाहन या मकान खरीदने में कठिनाई होती है।
पंचम भाव (संतान व शिक्षा)
इस भाव में शनि संतान सुख में बाधा डाल सकता है और पढ़ाई-लिखाई में रुकावटें ला सकता है। गलत संगति की संभावना भी रहती है।
षष्ठम भाव (शत्रु व रोग)
षष्ठम भाव में शनि को शुभ माना जाता है। ऐसे लोग अपने शत्रुओं पर विजय पाते हैं और रोगों से लड़ने की क्षमता रखते हैं।
सप्तम भाव (विवाह व संबंध)
सातवें भाव में शनि (Shani Grah In Astrology) विवाह में देरी कर सकता है। साथ ही व्यक्ति कामुक प्रवृत्ति का भी हो सकता है। सामाजिक मान-सम्मान में कमी आ सकती है।
अष्टम भाव (आयु व बाधा)
इस भाव में शनि की स्थिति कठिनाइयां और अनजाना भय लाती है। पिता को परेशानी हो सकती है और जीवन में बार-बार समस्याएं आती हैं।
नवम भाव (भाग्य)
यहां शनि अच्छा फल देता है। मेहनत के अनुसार धन और भाग्योदय संभव होता है। जीवन में स्थिरता और प्रगति मिलती है।
दशम भाव (कर्म)
दसवें भाव में शनि को बेहद शुभ माना गया है। ऐसे लोग अनुशासित होते हैं और मेहनत से ऊंचे पदों तक पहुंचते हैं। सफलता भले देर से मिले, लेकिन मिलती जरूर है।
एकादश भाव (लाभ)
इस भाव में शनि लाभ दिलाता है, हालांकि देरी से। अच्छे मित्र और सहयोगियों का साथ भी ऐसे लोगों को मिलता है।
द्वादश भाव (व्यय)
द्वादश भाव में शनि मिले-जुले परिणाम देता है। धन की कमी नहीं होती, लेकिन खर्च भी अधिक होते हैं। विदेशी कारोबार और विदेश यात्रा की संभावनाएं मजबूत रहती हैं।