नई दिल्ली/नवप्रदेश। Sewer Cleaning Death : 5 साल में छत्तीसगढ़ और केरल में सीवर सफाई के दौरान एक-एक सफाई कर्मचारियों की मौत हुई है जबकि इन्हीं वर्षों में सबसे अधिक 47 मजदूरों की मौत अकेले उत्तर प्रदेश में हुई। यह जानकारी सरकार की ओर से मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में दी गई।
सबसे अधिक मौत उत्तर प्रदेश में
देश में पांच साल के दौरान सीवर की सफाई (Sewer Cleaning Death) करते समय 330 मजदूरों की मौत हुई है। 2017-2021 तक सबसे अधिक 47 मजदूरों की मौत उत्तर प्रदेश में हुई। हालांकि, उत्तर प्रदेश में 2020 और 2021 सीवर की सफाई के दौरान एक भी मजदूर की मौत नहीं हुई।
तमिलनाडु से राज्यसभा सदस्य केआरएन राजेश कुमार ने आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय से पूछा था कि क्या यह सच है कि पांच साल के दौरान देश भर के शहरी निकायों में काम करने वाले कई कर्मियों की सीवर सफाई के दौरान मौत हुई है? इसके अलावा उन्होंने सरकार से पूछा था कि क्या सरकार ने सीवरों की हाथ से सफाई करने को रोकने के लिए कोई ठोस नई योजना बनाई है? साथ ही सरकार की ओर से सीवर की सफाई में लगे कर्मियों को आधुनिक उपकरण, प्रशिक्षण और वर्दी उपलब्ध कराने के लिए राज्य वार क्या-क्या कदम उठाए गए हैं?
इन सवालों के जवाब आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री कौशल किशोर की ओर से लिखित रूप में उपलब्ध कराए गए। मंत्री की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक देश में 2017 से 2021 तक कुल 330 मजदूरों की सीवर की सफाई के दौरान जान गई। इन पांच साल में 2019 के दौरान सीवर की सफाई करते हुए सबसे अधिक 116 मजदूरों की मौत हुई। वहीं, 2020 में सबसे कम 19 मजदूरों की मौत हुई।
राज्यवार आंकड़ों पर डालें निगाह
आंकड़ों पर राज्यवार निगाह डालें तो इन पांच सालों में सबसे ज्यादा 47 मजदूरों की मौत उत्तर प्रदेश में हुई है। राज्य में 2017 में 13, 2018 में 8 और 2019 में 26 मजदूरों की सीवर की सफाई के दौरान मौत हुई। सरकार ने पेयजल और स्वच्छता विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय की एक संयुक्त परियोजना ‘मैकेनाइज्ड सेनिटेशन इकोसिस्टम के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (नमस्ते)’ तैयार की है जिसका उद्देश्य भारत में स्वच्छता संबंधी कार्य के दौरान शून्य मृत्युदर करना है।
साथ ही इसका उद्देश्य यह है कि कोई भी स्वच्छता कर्मी मानव मल के सीधे संपर्क में नहीं आए। इसके अलावा आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने रखरखाव कार्यों के लिए आवश्यक मशीनरी और सफाईमित्रों (सीवर रखरखाव और मल निकालने के कार्यों में लगे कर्मचारी) के लिए मुख्य उपकरणों की किस्मों, सुरक्षा उपकरणों की सूची बनाई है। राज्यों की ओर से इसकी खरीद को आसान बनाने के लिए इसे सरकारी ई-मार्केटप्लेस पोर्टल पर भी उपलब्ध करवाया गया है।इसका उद्देश्य यंत्रीकृत मलसफाई प्रणाली के लिए आवश्यक उपकरणों की पर्याप्त उपलब्धता करवाना है।
2017-2021 तक सबसे अधिक 47 मजदूरों की मौत उत्तर प्रदेश में
उत्तर प्रदेश में 2020 और 2021 में सीवर की सफाई (Sewer Cleaning Death) के दौरान किसी मजदूर की मौत नहीं हुई। उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान ही देश का ऐसा बड़ा राज्य है जहां 2020 और 2021 में सीवर की सफाई के दौरान किसी भी सफाई कर्मचारी की मौत नहीं हुई। राजस्थान में इन पांच साल में 13 मजदूरों की मौत हुई। 2017 से 2021 के दौरान तमिलनाडु में 42, हरियाणा में 36, दिल्ली में 32 और महाराष्ट्र में 30 सफाई कर्मियों की मौत काम के दौरान हुई। इस अवधि में केरल और छत्तीसगढ़ में एक-एक सफाई कर्मचारी की मृत्यु सीवर की सफाई के दौरान हुई।