पुनर्वास नीति के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराने की बात
कोरबा/नवप्रदेश। SECL Strike : कुसमुंडा क्षेत्र के भूविस्थापितों का दीवाली के समय भी एसईसीएल मुख्यालय पर धरना जारी है। वे 1978-2004 के बीच अधिग्रहित भूमि के एवज में लंबित रोजगार की मांग कर रहे हैं। जिन लोगों ने अपनी जमीन देकर देश-दुनिया को रोशन करने का काम किया और कोरबा जिले को ऊर्जाधानी के रूप में पहचान दिलाई, आज वही परिवार रोजगार के लिए भटक रहे हैं।
एसईसीएल उन्हें वर्ष 2012 की पुनर्वास नीति (SECL Strike) के आधार पर रोजगार देने की बात कर रहा है। आंदोलनकारी भूविस्थापितों का कहना है कि यह अन्याय है, क्योंकि इस नीति के तहत न किसी का पुनर्वास होगा, न रोजगार मिलेगा। उनके मामले में उस समय की पुनर्वास नीति लागू होनी चाहिए, जब उनकी जमीन अधिग्रहित की गई थी।
जहां एसईसीएल प्रबंधन ने इस समस्या को सुलझाने के लिए एक माह का समय मांगा है, वहीं आंदोलनकारी किसान अपनी मांग पर जोर देते हुए मुख्यालय द्वार के सामने ही पिछले रक सप्ताह से शांतिपूर्ण धरने पर बैठे हुए हैं।
इस दीवाली पर उनके घरों में अंधेरा था, लेकिन उन्होंने स्श्वष्टरु मुख्यालय गेट (SECL Strike) पर दीप जलाकर शोषण के खिलाफ अपने संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया।
इधर आंदोलनकारी भूविस्थापित दीपावली के दिन अपने घर को अंधेरे में रखा और SECL मुख्यालय के द्वार पर दीप जलाया। उनकी मानें तो वे शांति के साथ अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से कोरोना ने लोगों को आर्थिक रूप से तोड़ दिया है, उस पर वादा करके रोजगार न देना अन्याय है।