छत्तीसगढ़ के कोरबा SECL में मुआवज़ा बांटने (SECL Compensation Fraud) के नाम पर बड़े खेल का पर्दाफाश हुआ है। CBI की डिस्क्रीट जांच में सामने आया है कि जायसवाल परिवार ने सरकारी और गैर-सरकारी जमीन पर बने घरों का हवाला देकर कई बार मुआवज़ा ले लिया।
इस पूरी साजिश में SECL के कुछ अधिकारियों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठे हैं। इस कथित संगठित घोटाले से सरकारी खजाने को 9 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचा है।
CBI को इस घोटाले (SECL Compensation Fraud) की पहली शिकायत 12 दिसंबर 2023 को मिली थी। इसके बाद 11 जनवरी 2024 और 29 मई 2024 को भी इसी तरह की शिकायतें दर्ज की गईं।
जांच आगे बढ़ी तो खुलासा हुआ कि खुशाल जायसवाल ने 1.60 करोड़ रुपये से अधिक और राजेश जायसवाल ने 1.83 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुआवज़ा ले लिया। दोनों ने अलग-अलग मौकों पर दावा किया कि उनके पास कोई अन्य मकान नहीं है, जबकि CBI की जांच में पता चला कि वे पहले भी कई बार मुआवज़ा ले चुके हैं।
नियमों के मुताबिक मुआवज़ा केवल उसी व्यक्ति को मिलता है जो परियोजना क्षेत्र का स्थायी निवासी हो और कम से कम पांच साल से वहीं रह रहा हो। लेकिन CBI की रिपोर्ट बताती है कि जिन घरों के नाम पर मुआवज़ा दिया गया, वे भूमि अधिग्रहण के बाद बनाए गए थे।
यानी नियमों का सीधा उल्लंघन किया गया। CBI की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि SECL के कुछ अज्ञात अधिकारियों ने बिना किसी उचित जांच-पड़ताल के मुआवज़ा मंजूर कर दिया। हलफनामों की सत्यता तक की जांच नहीं की गई और सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हो गया।
इस मामले में CBI ने खुशाल जायसवाल, राजेश जायसवाल, अज्ञात निजी व्यक्तियों और अज्ञात SECL अधिकारियों के खिलाफ IPC की धारा 120B (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 13(1)(a) और 13(2) के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
CBI की FIR के बाद यह पूरा मामला अब SECL के सबसे बड़े मुआवज़ा घोटालों में से एक बन गया है और आने वाले दिनों में कई और खुलासों की संभावना जताई जा रही है।

