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SaveRahulAbhiyan Video : माना चुनौती बड़ी थी…पर हमारी टीम कहां शांत खड़ी थी…सफर को क्रमशः पढ़ें…

SaveRahulAbhiyan Video : Admittedly the challenge was big…But where did our team stand still…Read the journey step by step…

SaveRahulAbhiyan

रायपुर, 15 जून। SaveRahulAbhiyan : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बोरवेल में फंसे राहुल साहू के सकुशल बाहर आने पर खुशी व्यक्त करते हुए ट्वीट में लिखा है कि ‘‘माना कि चुनौती बड़ी थी, पर हमारी टीम भी कहाँ शांत खड़ी थी। रास्ते अगर चट्टानी थे, तो इरादे हमारे फौलादी थे।’’ उन्होंने कहा कि सभी की दुआओं और रेस्क्यू टीम के अथक, समर्पित प्रयासों से राहुल साहू को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। वह जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ हो, ऐसी हमारी कामना है।

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बेशक यह एक मुख्यमंत्री का अल्फाज है, जिनके कुशल नेतृत्व में ये ऑपरेशन हुआ है, लेकिन इसके पीछे की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। राहुल जब से बोरवेल में गिरे तब से उसके बाहर निकलने का सफर क्रमशः यहां पढ़ें-

A To Z दिन प्रति दिन कठोर परिश्रम

वह मनहूस (SaveRahulAbhiyan) दिन 10 जून 2022 था, समय करीब दोपहर 2 बजे, स्थान पिहरीद, जिला जांजगीर चांपा से समाचार आया कि 10 वर्षीय राहुल 60 फीट बोरवेल के गड्डे में गिर गया। इस सूचना ने जैसे राज्य में भूचाल लेकर आया। चारों ओर अफरा-तफरी मच गई, इस बीच दोपहर 3 बजे तक शासन-प्रशासन मौके पर पहुंचा। उसके बाद शुरू हुआ छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन और सैकड़ों अधिकारियों व कर्मचारियों की मौजूदगी में शुरू हुआ बचाव अभियान। दोपहर 3 बजे के बाद से रेस्क्यू टीम रात भर राहुल को बचाने की कोशिश करती रही, लेकिन निराशाजनक परिणाम।

दूसरा दिन 2 शनिवार 11 जून SDRF, NDRF और सेना ने रस्सी से बच्चे को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन नतीजा निराशाजनक रहा। उसके बाद गुजरात से मंगवाए रोबोट से बाहर निकलने का प्रयास किया गया, लेकिन वह भी असफल रहा। इस बीच एनडीआरएफ की टीम राहुल को केले और अन्य खाद्य सामग्री की आपूर्ति करती रही। अब राहुल को बोरवेल में फंसे 60 घंटे से ज्यादा समय हो चुका था।

अब राहुल को बचने कुछ दूसरा उपाए करना होगा, इस बात दिमाग में रखते हुए माइनिंग एक्सपर्ट द्वारा टनल बनाने का काम शुरू किया, लेकिन वहां भी बाधाएं चट्टान बनकर जैसे सीना तान खड़ी थी, पर हमारे बचाव दल भी कोई कमतर नहीं थी। वे उन पत्थर की चट्टानों को चीरते हुए आगे बढ़ते गए।

सांप और मेंढक के बीच राहुल

खैर, अब 13 जून और दिनरात एक्सपर्ट द्वारा चट्टान को चीरने में बीता। आया 14 जून, नई सुबह और साथ में ढेर साडी उम्मीदें। एक्सपर्ट अपना काम उसी तल्लीनता से कर रहे थे। फिर एक समय पर लगा कि बस अब राहुल चंद कदमों की दुरी पर है, और हम उसे निकल लेंगे, लेकिन नतीजा सिफर। दिन निकलकर रात में तब्दील हुई लेकिन हमारे जवानों की उम्मीद सुबह जैसी बरकरार थी। अब राहुल की स्तिथि भी नाजुक होने लगी। रिस्पॉन्ड करना बंद कर दिया था। उसके पास एक सांप और मेंढक CCTV के जरिए दिखाई दे रहा था। मौसम भी प्रतिकूल होने लगा। भरी मशीनों की जगह अब हाथों से ड्रिलिंग करनी पड़ी।

फिर आ गई जिस घड़ी का इंतजार पूरे देशवासियों को था। 14 जून की मध्य रात्रि करीब 11 बजकर 58 मिनट में राहुल को रेस्क्यू टीम ने स्टेचर पर लिटाकर बहार निकाला। उसके बाद स्वास्थ्य परीक्षण के लिए राहुल को ग्रीन कॉरीडोर बनाकर बिलासपुर के अपोलो अस्पताल के लिए रवाना किया गया है। 

एक संवेदनशील मुखिया की यही पहचान

हजारों की व्यस्तताओं के बीच मुख्यमंत्री बघेल ने न केवल इन 2 दिनों की पल-पल की खबर ली, बल्कि परिजनों को सांत्वना भी दी और उन्हें इस बात का अहसास कराया कि हम हैं न… राहुल को कुछ नहीं होगा।

एक संवेदनशील मुखिया की यही पहचान होना चाहिए, कि वह अपने घर के सभी लोगों का ध्यान रखे, जिसे CM ने बखूबी निभाया। यह बात प्रदेश की जनता जरूर याद रखेगी।

सीएम भूपेश बघेल भी लगातार इस मामले की लगातार खबर ले रहे थे। सीएम ने भी राहुल के माता-पिता से वीडियो कॉल पर बात की थी और उन्हे विश्वास दिलाया था कि राहुल को कुछ नहीं होने देंगे। राहुल सकुशल लौट आएगा।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि लगभग 104 घंटे तक बोरवेल में फंसे होने के बावजूद राहुल ने बहुत हिम्मत दिखाई। यह रेस्क्यू ऑपरेशन बहुत चुनौतीपूर्ण था, जिसे बचाव दलों ने बहुत धैर्य, समझदारी और साहस के साथ पूरा कर लिया है। CM बघेल ने कहा कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एसईसीएल, छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस, भारतीय सेना, चिकित्सा दल और प्रशासनिक अधिकारियों समेत बचाव दल में शामिल हर टीम और हर व्यक्ति ने संयुक्त रूप से कर्त्तव्यनिष्ठा का पालन करते हुए राहुल को बोरवेल से निकालने का दुष्कर कार्य कर दिखाया। 

ऐसे खतरनाक बोरों को बंद करने की अपील

मुख्यमंत्री बघेल (SaveRahulAbhiyan) ने कहा कि राहुल और उसके परिजनों पर आए संकट को लेकर मैं व्यक्तिगत रूप से भी बहुत चिंतित था। मैं पल-पल का अपडेट ले रहा था। मैंने राहुल के परिजनों से फोन पर बातचीत करके उन्हें भरोसा दिलाया था कि हम हर संभव प्रयास करेंगे। इस घटना ने खुले छोड़ दिए गये बोरों को लेकर एक बार फिर सभी को सचेत किया है। मैंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे खतरनाक बोरों को बंद करना सुनिश्चित करें। 

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