दंगल गर्ल सान्या मल्होत्रा इन दिनों हॉलिवुड फिल्म मेन इन ब्लैक इंटरनैशनल में एजेंट एम यानी हॉलिवुड स्टार टेसा थॉम्पसन को आवाज देकर चर्चा में हैं। सान्या ने फिल्म के हिंदी वर्जन में टेसा के लिए डबिंग की है। वहीं, अनुराग बसु निर्देशित अपनी अगली फिल्म में वह एक बार फिर पुरानी जोड़ीदार फातिमा सना शेख के साथ नजर आएंगी
एमआईबी से जुडऩा गर्व की बात
फिल्म में टेसा थॉम्पसन के लिए डबिंग करना सान्या के लिए कितना चैलेंजिंग रहा, यह पूछने पर वह कहती हैं, डबिंग बड़ा ही इंट्रेस्टिंग सा कॉसेप्ट है। हमारी फिल्मों में आजकल सिंक साउंड होता है, तो डबिंग इतनी होती नहीं है। जैसे मैंने दंगल के लिए सिर्फ एक ही लाइन डब की थी, तो शुरू में मुझे पता नहीं था कि डबिंग भी ऐक्टिंग जितना ही मुश्किल प्रोसेस होता है। ये बात मुझे अपनी पिछली फिल्म फोटोग्राफ में पता चली, क्योंकि उसमें लगभग पूरी ही फिल्म हमें डब करनी पड़ी थी। वह फिल्म हमने काफी हद तक बाहर शूट की थी, तो हमारे ऑडियो में काफी नॉइज था। उस फिल्म में मैंने सीखा कि जो आप कैमरे के सामने एक ऐक्टर के तौर पर करते हैं, डबिंग में वही आपको माइक के सामने करना होता है, लेकिन किसी और ऐक्टर के लिए डब करना ट्रिकी होता है, साथ ही काफी इंट्रेस्टिंग भी होता है। वहां, स्क्रीन पर मैं नहीं हूं, तो यह जानने के लिए कि टेसा क्या फील कर रही है, वह पूरा सीन देखो। क्या बोल रही है, उसका ट्रांसलेशन करो, दूसरे वह हिंदी में भी फनी लगना चाहिए, तो एमआईबी के लिए डब करना मेरे लिए काफी इंट्रेस्टिंग था। जब मेरी एजेंट ने मुझे बताया कि एमआईबी के लिए डब करना है, तो मैंने बिना सोचे तुरंत कहा कि हां, मैं करूंगी। मैं एमआईबी की बहुत बड़ी फैन हूं। इतनी बड़ी और अच्छी फिल्म के साथ जुडऩा मेरे लिए गर्व और सम्मान की बात है।
अब बॉलिवुड हीरोइनें भी नहीं रहीं नाजुक
हॉलिवुड की तरह बॉलिवुड में ऐक्ट्रेसेस के लिए ऐसे एजेंट वाले ऐक्शन ओरिएंटेड रोल न लिखे जाने के सवाल पर सान्या असहमति जताती हैं। बकौल सान्या, दंगल ही ऐक्शन फिल्म थी। हमने खुद अपने ऐक्शन किए थे। कटरीना कैफ ने कई फिल्मों में ऐक्शन किया है। अब बहुत सारी ऐक्ट्रेसेस ऐक्शन कर रही हैं, तो ऐसा नहीं है कि हमारी इंडस्ट्री में ऐक्ट्रेसेस के लिए स्ट्रॉन्ग रोल नहीं लिखे जा रहे हैं। हमारी इंडस्ट्री भी अब ऐसी फिल्में बनने लगी हैं। हां, पहले फीमेल के लिए स्ट्रॉन्ग किरदार नहीं लिखे जाते थे। पहले तो हम इंतजार ही करते थे कि हमारा हीरो हमें मुसीबत से बचाने के लिए कब आएगा, पर अब हम खुद खड़े होकर कहते हैं कि तुम बैठो, हम अपने को खुद बचा लेंगे। तुम जाओ, अपना काम करो। दरअसल, हमारे यहां एजेंट की फिल्में ही बहुत कम बनती हैं, मैंने तो बॉलिवुड में एजेंट वाली कोई फिल्म देखी ही नहीं है। बाकी, अभी चीजें बदली हैं। काफी स्ट्रॉन्ग फीमेल किरदार लिखे जा रहे हैं। यह एक बहुत अच्छा बदलाव है, जिसे हमें सपॉर्ट करना चाहिए।