Sanjay Yadav Black Fortuner : झारखंड सरकार के श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास मंत्री संजय यादव इन दिनों अपने ‘काले रंग’ के शौक को लेकर सुर्खियों में हैं। मंत्री ने विभाग को आवंटित सरकारी टोयोटा फॉर्च्यूनर का रंग सफेद से बदलकर काला करवा दिया – वो भी बिना किसी विभागीय अनुमति या आरटीओ की मंज़ूरी के। इस पूरे प्रकरण ने अब प्रशासनिक गलियारों में चर्चा छेड़ दी है।
जानकारी के अनुसार, गाड़ी को जनवरी 2025 में रांची स्थित बुद्धा टोयोटा सर्विस सेंटर में नियमित सर्विसिंग के लिए भेजा गया था। वहीं, मंत्री के मौखिक आदेश पर गाड़ी का पूरा रंग बदल दिया गया।
सर्विस सेंटर ने डेंट-पेंट और सर्विसिंग मिलाकर ₹5.23 लाख का बिल श्रम विभाग (Sanjay Yadav Black Fortuner) को भेजा, लेकिन बिल अब तक विभाग में लंबित है। वजह — इस परिवर्तन के लिए ना तो कोई लिखित आदेश जारी हुआ, ना ही डीटीओ से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) ली गई।
सूत्रों के मुताबिक, विभागीय अधिकारी फिलहाल दुविधा में हैं, क्योंकि गाड़ी के रंग परिवर्तन के लिए किसी तरह की आधिकारिक स्वीकृति नहीं ली गई थी। यही कारण है कि भुगतान को लेकर भी फाइल अटकी हुई है।
मिली जानकारी के अनुसार, वाहन 27 जनवरी 2025 को विभाग के अवर सचिव के नाम से सर्विस सेंटर में जमा कराया गया था। दिलचस्प बात यह है कि बीमा कंपनी को भी सूचित किए बिना ही रंग बदलने का काम शुरू कर दिया गया।
कानूनी प्रविधान क्या कहते हैं?
भारतीय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 52 के अनुसार, किसी भी वाहन के रंग में परिवर्तन करने के लिए आरटीओ की पूर्व अनुमति अनिवार्य है।
साथ ही, नियम 47 और 50 में स्पष्ट उल्लेख है कि वाहन का रंग आरसी (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) पर दर्ज रंग से मेल खाना चाहिए।
यदि वाहन का रंग अनुमति के बिना बदला गया पाया जाता है, तो उसे “गैर-अनुपालक” (Non-Compliant) माना जाता है और पकड़े जाने पर भारी जुर्माना लग सकता है।
मंत्री का वर्जन
“सरकारी गाड़ी से संबंधित जो भी बिल है, उसका भुगतान कर दिया जाएगा। मेरे आदेश पर ही गाड़ी का रंग सफेद से काला कराया गया है। इसके लिए जो भी कानूनी (Sanjay Yadav Black Fortuner) प्रक्रिया होगी, उसका पालन किया जाएगा।”
– संजय यादव, श्रम मंत्री, झारखंड सरकार