संचार साथी (Sanchar Saathi App Controversy) को लेकर पूरे देश में सियासी बवाल मचा हुआ है। दरअसल, 1 दिसंबर यानी कल केंद्र सरकार ने सभी फोन निर्माता कंपनियों को आदेश दिया था कि वह अपने स्मार्टफोन में साइबर सिक्योरिटी एप संचार साथी को पहले से इंस्टॉल करें और फिर बेचें।
सरकार द्वारा इस आदेश को सार्वजनिक नहीं किया गया था बल्कि कुछ कंपनियों को भेजा गया था। कांग्रेस सहित विपक्ष के अन्य दलों ने सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए इसका विरोध किया है।
यह लोगों की निजता पर हमला
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार का यह कदम लोगों की निजता पर सीधा हमला है। यह एक जासूसी एप जिससे प्रत्येक नागरिक की निगरानी किए जाने की योजना बनाई गई है। साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग के लिए एक सिस्टम का होना बेहद जरूरी है, लेकिन सरकार का यह फरमान लोगों की निजी जिंदगी में अनावश्यक दखल की तरह है।
भ्रम फैला रहा विपक्ष
वहीं, इस मामले पर विवाद बढ़ने पर केंद्र सरकार ने सफाई दी है। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि विपक्ष भ्रम फैला रहा है। संचार साथी एप को मोबाइल में रखना अनिवार्य नहीं है।
यूजर अपनी इच्छानुसार इसे डिलीट कर सकते हैं। उन्होंने कहा, अगर यूजर्स संचार साथी एप को अपने मोबाइल में नहीं रखना चाहते तो वे उसे हटा सकते हैं। यह वैकल्पिक है अनिवार्य नहीं। हमारा कर्तव्य प्रत्येक व्यक्ति को एप से परिचित कराना है।
(Sanchar Saathi App Controversy) क्या है संचार साथी एप
संचार साथी (Sanchar Saathi App Controversy) एप सरकार का साइबर सिक्योरिटी टूल है जिसे इस साल जनवरी में लॉन्च किया गया था। इसे एपल और गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।
यह एप यूजर्स को कॉल, मैसेज या वॉट्सएप चैट रिपोर्ट करने में सहायता करेगा। साथ ही IMEI नंबर चेक करके यह चोरी हुए फोन को ब्लॉक करने का भी काम करेगा। सरकार ने इसे बढ़ते साइबर अपराध और फोन चोरी को रोकने के मकसद से लॉन्च किया है।

