1 सितंबर को रात 8 बजे से पिता को लेकर अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे सैम के भतीजे अमित
किसी तरह मेकाहारा के आइसोलेशन वार्ड में मिला बेड, आईसीयू में शिफ्ट कराने में देरी
अश्विन अगाड़े/नवप्रदेश। रायपुर/नवप्रदेश। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मित्र रहे सैम पित्रोदा (sam pitroda cousin brother dies of corona) के चचेरे भाई ललीत मोहन पित्रोदा का कोरोना से शनिवार की सुबह करीब 6 बजे मेकाहारा (mekahara raipur corona death) अस्पताल में निधन हो गया।
72 वर्षीय पित्रोदा की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। ललीत मोहन पित्रोदा के बेटे अमित पित्रोदा ने यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि एम्स (aiims raipur) ने उन्हें लौटा दिया था और मेकाहारा (mekahara raipur corona death) में भर्ती रहने के दौरान उनकी सही देखभाल नहीं हुई।
वहीं इस मामले में सैम पित्रोदा (sam pitroda cousin brother dies of corona) ने नवप्रदेश को बताया कि हमें इस स्थिति में किसी पर दोषारोपण नहीं करना चाहिए। नवप्रदेश से बातचीत में उन्होंने बताया कि वे 1 सितंबर को अपने पिता व मां की कोरोना जांच कराने के लिए एम्स गए हुए थे। वहां डॉक्टरों ने देखा तो उनके पिता यानी ललीत का ऑक्सीजन लेवल 70 आ रहा था। एम्स के डॉक्टरों ने पहले तो उन्हें भर्ती करने की बात कही।
फिर उन्हें यह कहकर लौटा दिया कि वहां बेड नहीं है। जिसके बाद वे रात 8 बजे से करीब 1 बजे तक निजी अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन किसी ने भर्ती नहीं लिया। बकौल अमित उनके पिता को किसी तरह मेकाहारा के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर लिया गया।
वहां ऑक्सीजन बेड मिला। डॉक्टरों ने रैपिड टेस्ट कराया तो उसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कराने की बात कही। लेकिन इसमें भी देर करते हुए उन्होंने सुबह (2 तारीख) के 6 बजा दिए।
मेकाहारा में भी नहीं दिया गया ठीक से ध्यान : अमित
अमित ने कहा कि मेकाहारा के आईसीयू में भी सिर्फ चार जूनियर डॉक्टर ड्यूटी कर रहे हैं जो प्रोटोकॉल के तहत मरीज को गोलियां खिलाते रहते हैं। आईसीयू के नाम पर सिर्फ ऑक्सीजन है। सीनियर डॉक्टर नहीं है, जो मरीज का ठीक तरह से उपचार कर सके। मरीजों के लिए पीने के पानी तक व्यवस्था नहीं है। आईसीयू के शौचालय में भी काफी गंदगी है।
बकौल अमित शनिवार की सुबह करीब 5 बजे पिता को प्रेशर आने पर डॉक्टरों ने उन्हें शौचालय जाने से मना कर दिया। लेकिन जब बहुत जरूरी हो गया तो वे खुद ही शौचालय चले गए। पहले से ही उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। शायद ज्यादा सफोकेशन के कारण वे वहां गश खाकर गिर गए और किसी चीज से टकरा गए। उनके माथे पर चोट का निशान था।
परिवार ने ऐसे दिखाई सदाशयता
अमित की मानें तो सैम पित्रोदा के परिवार का होने के बावजूद भी उन्होंने एम्स में उनका नाम नहीं लिया। अमित ने एक आम इंसान की तरह ही अस्पतालों के चक्कर काटे और किसी तरह मेकाहारा में अपने पिता को भर्ती कराया और तकलीफें होने पर भी किसी को अपने परिवार का रुतबा नहीं बताया।
सैम पित्रोदा ने ये बताया नवप्रदेश को
अमेरिका के शिकागो शहर से नवप्रदेश से बात करते हुए सैम पित्रोदा sam pitroda ने इस मामले में कहा कि मुझे ललीत की मौत की खबर है। मैंने उनके बेटे से बात की है। मुझे डिटेल जानकारी नहीं। जितना मुझे पता है, वे (ललीत) कोविड पॉजिटिव थे। तीन दिन से आईसीयू में भर्ती थे। यह दुर्भाग्य है कि तीन दिन में ही उनकी मौत हो गई। डॉक्टर ही मृत्यु के कारणों के बारे में बता सकते हैं। हमें इस स्थिति में बिना तथ्यों के किसी पर बिना तथ्यों के दोष नहीं मढऩा चाहिए।