Royal Property Dispute : देश की सबसे चर्चित पैतृक संपत्ति के विवादों में से एक, सिंधिया राजघराने का मामला अब सुलझने की दिशा में बढ़ता दिख रहा है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर पीठ ने आदेश दिया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी तीन बुआएं—वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और ऊषा राजे आपसी सहमति से समझौता करें। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 90 दिनों के भीतर राजीनामे की प्रक्रिया पूरी हो और 60 दिनों के भीतर उसका आवेदन कोर्ट में पेश किया जाए। इसके बाद (Royal Property Dispute) की कंप्लाइंस रिपोर्ट भी न्यायालय को सौंपनी होगी। यदि तय समयसीमा में समझौता नहीं होता है तो अदालत ने चेतावनी दी है कि मामला दोबारा बहाल कर दिया जाएगा।
2010 से लंबित विवाद
सिंधिया राजघराने की 40 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर कानूनी लड़ाई वर्ष 2010 से चली आ रही है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया की बेटियां वसुंधरा, यशोधरा और ऊषा ने अपने भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ अदालत में दावा दायर किया था। उनका कहना था कि पैतृक संपत्ति में बेटियों का भी समान अधिकार है। दूसरी ओर, ज्योतिरादित्य ने भी इस विशाल संपत्ति पर अपना अधिकार जताया। मामला पहले जिला अदालत में चला और फिर 2017 में हाई कोर्ट पहुंचा, जहां इसे सिविल रिवीजन के रूप में दर्ज किया गया। वर्षों से चले आ रहे इस कानूनी विवाद में अब (Royal Property Dispute) को खत्म करने की उम्मीद जगी है।
किन संपत्तियों पर है विवाद
राजघराने के पास कई ऐतिहासिक और कीमती संपत्तियां हैं जिन पर विवाद कायम है। इनमें ग्वालियर का जयविलास पैलेस सबसे अहम है, जो 12.40 लाख वर्गफीट में फैला हुआ है और जिसकी कीमत लगभग 10 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है। इसके अलावा परिवार की 100 से अधिक कंपनियों में हिस्सेदारी, शिवपुरी जिले के माधव विलास पैलेस, हैप्पी विलास और जॉर्ज कैसल कोठी जैसी संपत्तियां शामिल हैं। उज्जैन का कालियादेह पैलेस, दिल्ली का ग्वालियर हाउस, पुणे का पद्म विलास पैलेस, वाराणसी का सिंधिया घाट और गोवा का विठोबा मंदिर जैसी संपत्तियों का भी बंटवारे को लेकर विवाद है। इन सभी संपत्तियों को लेकर अदालत में कई बार सुनवाई हुई और अब (Royal Property Dispute) के समाधान की संभावना जताई जा रही है।
कोर्ट का रुख और अगला कदम
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इतने लंबे समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई को अब आपसी सहमति से समाप्त करना जरूरी है। अदालत ने पक्षकारों को साफ चेताया है कि यदि राजीनामा तय समय पर नहीं हुआ तो मामला फिर से अदालत की सुनवाई में आ जाएगा। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अदालत के इस रुख से पक्षकारों पर समझौता करने का दबाव बनेगा और (Royal Property Dispute) का समाधान निकट भविष्य में संभव है।
ऐतिहासिक महत्व और राजनीतिक हलचल
इस विवाद का असर सिर्फ परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध राजनीति और प्रशासनिक हलकों से भी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री हैं, जबकि वसुंधरा राजे राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री हैं और यशोधरा राजे मध्य प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रही हैं। ऐसे में इस विवाद के सुलझने से न केवल संपत्ति का बंटवारा होगा बल्कि राजनीतिक समीकरणों पर भी असर पड़ सकता है।