किशन भावनानी। Rishi Sunak : वर्ष 1965 में रिलीज हुई फिल्म सिकंदर ए आजम फिल्म का गीत जहां डाल डाल पर सोने की चिडिय़ा करती है बसेरा वो भारत देश है मेरा और 1967 में रिलीज हुई फिल्म उपकार का गीत मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती हालांकि हम सब ने कई बार यह गीत सुने होंगे परंतु अब समय आ गया है कि वर्षों पूर्व गाए गए इन गीतों की सटीकता का प्रमाण अभी हाल के कुछ वर्षों में हमें दिखाई देने लगे हैं जिसका हम सभी को खासकर युवाओं को गर्व महसूस करते हुए सफलताओं की बुलंदियों को और बहुत आगे ले जाकर सारे संसार में भारत का परचम लहराना है, भारत को विश्वगुरु बनाना है।
यह बात सिद्ध हो चुकी है कि भारत हीरे मोती जैसे बौद्धिक क्षमता (Rishi Sunak) के मानवीय जीव देता है जिनकी बौद्धिक क्षमता का लोहा विश्व को मानना पड़ता है जिसका सबूत जिस ब्रिटेन ने भारत को 200 वर्षों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़े रखा उसका वही भारतवंशी प्रधानमंत्री बनेगा किसी ने सोचा भी न था आज ब्रिटेन में भारतवंशी ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने, अमेरिका में कमला हैरिस के उपराष्ट्रपति सहित ऐसे अनेक देश है जहां, भारतवंशी राज कर रहे हैं ठीक उसी तरह अमेरिका में 45 लाख से अधिक सयुक्त अरब अमीरात में 31 लाख मलेशिया 30 लाख़ सऊदी अरब 28 लाख यूके 18 लाख श्रीलंका 16 लाख़ दक्षिण अफ्रीका 16 लाख़ कनाडा 10लाख कुवैत 19.30 लाख से अधिक भारतीय बसते हैं इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि भारतीयों का वैश्विक स्तरपर कितना योगदान है। चूंकि 28 अक्टूबर 2022 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में भारतवंशी ऋषि सनक शपथ लेने जा रहे हैं इसीलिए आज हम दो दिनों से लगातार टीवी चैनलों पर चल रही इसकी चर्चा पर इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक की करें तो ब्रिटेन के नामित पीएम ऋषि सुनक ने लंदन के बकिंघम पैलेस में किंग चाल्र्स ढ्ढढ्ढढ्ढ से मुलाकात की। जिसके बाद उन्होंने सुनक से सरकार बनानें के लिए कहा। भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के किंग चाल्र्स ढ्ढढ्ढढ्ढ द्वारा सरकार बनाने के लिए कहे जाने के बाद औपचारिक रूप से ब्रिटिश प्रधान मंत्री बन गए हैं। नए पीएम का शपथ ग्रहण समारोह 28 अक्टूबर को होगा, खबर है कि 29 अक्टूबर को कैबिनेट का गठन किया जा सकता है,वे ब्रिटेन के पहले हिंदू और अश्वेत पीएम होंगे। भारतीय मूल के ऋषि सुनक का ब्रिटेन की राजनीति में बहुत तेज़ी से उदय हुआ है। उन्होंने 2015 में, 35 साल की उम्र में, पहली बार संसद का चुनाव जीता, केवल सात वर्षों में वो अब पीएम बनने जा रहे हैं, वो ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के और काली नस्ल के पीएम होंगे।
इनका जन्म 12 मई 1980 को हुआ उनकी पहचान ब्रिटिश हिंदू के रूप में है और वह श्री कृष्ण के भक्त हैं सनातनी धर्म को मानते हैं 2020 में वहां की संसद हाउस ऑफ कॉमन सेंस में संसद की शपथ गीता पर हाथ रख कर ली थी और ग्रेट ब्रिटेन के सिद्ध पुरुष बने। विराट भारतीय संस्कारों की शाप उनमें देखने को मिलती है क्योंकि टीवी चैनलों पर दिखाया गया कि वह गौ माता को जन्माष्टमी पर फल खिलाते हुए और गीता में परम विश्वास दर्शाते कहते दिखे हर दीपावली पर अपने घर के आंगन में दीपक जलाते दिखाए गए सौभाग्य से दिवाली 24 अक्टूबर के ही दिन पीएम के रूप में चुने गए ऐसी पूरी जानकारी टीवी चैनलों पर दिखाई गई है।
साथियों बात अगर हम ब्रिटिश पीएम को और अधिक जानने की करें तो,वे इन्फ़ोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति के दामाद हैं। उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति ब्रिटेन की सबसे अमीर महिलाओं की सूची में शामिल हैं। सुनक बोरिस जॉनसन कैबिनेट में वित्त मंत्री थे। 2015 से सुनक यॉर्कशर के रिचमंड से कंज़र्वेटिव सांसद चुने गए थे। उनके पिता एक डॉक्टर थे और माँ फ़ार्मासिस्ट। भारतीय मूल के उनके परिजन पूर्वी अफ्ऱीका से ब्रिटेन आए थे। पढ़ाई ख़ास प्राइवेट स्कूलविंचेस्टर कॉलेज में हुई।उच्च शिक्षा के लिए सुनक ऑक्सफर्ड़ गए। बाद में स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय मेंएमबीए भी किया।
राजनीति में आने से पहले इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स में काम किया। उनकी शादी अक्षता मूर्ति से वर्ष 2009 में शादी हुयी थी। उनकी दो बेटियां हैं जिसमें से एक का नाम कृष्णा है। भारतवंशियों ने ब्रिटेन में खूब दीपावली बनायी और भारत में भी इस अवसर को एक जश्न के रूप में बनाया गया। वेस्टमिंस्टर के सबसे धनी राजनेताओं में से एक सनक दो महीने से भी कम समय में ब्रिटेन के तीसरे पीएम बने हैं। वह आधुनिक समय में ब्रिटेन के पीएम बनने वाले सबसे कम उम्र के नेता है।
साथियों एक ज़माना था जब भारतीय मूल के लोगों को ब्रिटेन (Rishi Sunak) में कई तरह के भेदभावों का सामना करना पड़ता था। ये उनकी कल्पना से भी परे था कि एक दिन उनमें से कोई इस देश का प्रधानमंत्री बनने का ख़्वाव देखेगा। ब्रिटेन में विपक्षी दल लेबर पार्टी के सांसद वीरेंद्र शर्मा अब 75 के हो चले हैं. वो 55 साल पहले पंजाब से लंदन आए थे, अपने शुरुआती दिनों में भेदभाव का जि़क्र करते हुए वीरेंद्र शर्मा ने बीबीसी हिंदी को बताया, 60 के दशक में यहाँ घरों के बाहर ‘किराए के लिए उपलब्ध पर एशियन और कालों के लिए नहीं’ लिखा होता था, क्लबों के बाहर लिखा होता था, ‘कुत्ते, आयरिश, खानाबदोश और कालों को अंदर आने की इजाज़त नहीं’। अंग्रेज़ लोग इंडिया वालों को जब देखते थे तो कहते थे ये तो हमारे गुलाम थे अभी हमारे साथ बैठे हैं। वे इसका विरोध करते थे। लेकिन अब ब्रिटेन में वीरेंद्र शर्मा की तरह कई भारतीय मूल के सांसद है, बोरिस जॉनसन की सरकार में कई कैबिनेट मंत्री भी भारतीय मूल के थे।