Ringworm : पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नियमित रूप से स्नान करना चाहिए
Ringworm: यह फफूंद से उत्पन्न होने वाला त्वचा का रोग है। इस रोग का संक्रमण गोल आकार में बाहरी सीमा से फैलता है और मध्य भाग से ठीक होना आरम्भ होता है। इसमें बैक्टीरिया बाहरी सीमा में एक गोल घेरा बना लेते हैं, जिसमें परतें अथवा पपड़ियां-सी बनी रहती हैं।
बीच के भाग में सामान्य या नई त्वचा (Ringworm) दिखायी देती हैं। दाद का उपचार- इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नियमित रूप से स्नान करना चाहिए तथा स्वच्छ और सूखे वस्त्र पहनने चाहिएं। नीम के पत्तों के साथ उवाले गाए पानी से स्नान करना इस रोग के लिए बहुत लाभदायक है।
दाद (Ringworm) वाले स्थान पर नीम की पत्तियों का लेप लगाना चाहिए। रोगपुराना होने पर ‘पारदादि मलहम’ या दद्रहन लेप’ लगाने से बहुत आराम मिलता है। इस रोग के उपचार में ‘एडमज’ नामक द्रव्य का सामान्य रूप से प्रयोग किया जाता है।
इस पौधे के बीजों को पीसकर दाद के स्थान पर लेप के रूप में लगाया जाता है। शुद्ध गंधक का सेवन करने से भी बहुत लाभ मिलता है। यह औषधि 200 मिलीग्राम की मात्रा में दिन में दो बार शहद के साथ मिलाकर देनी चाहिए।
दाद (Ringworm) के रोगी को दही, अचार व अन्य खट्टी वस्तुओं को सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। आप खुजली और दाद से पेरशान हैं, तो काले चनों को पानी में पीसकर उसमें शहद मिलाकर दाद पर लेप करें। कुछ ही दिनों दाद साफ हो जाएगा। इस प्रयोग से खुली भी दूर हो जाएगी।
ग्वार के पत्तों का रस और लहसुन का रस साथ मिलाकर लगाने से दाद से छुटकारा मिलता है। पुदीने का रस दाद पर बार-बार लगाने से दाद ठीक हो जाता है। दो ग्राम कपूर को थोड़े से मिट्टी के तेल में खरल करके मरहम जैसा बना लें।
- -इस महहम को सुबह-शाम दाद को खुरच कर लगाने से लाभ होता है।
- – रोगी को नीम के पत्तों को पानी में उबालकर स्नान करना चाहिए।
- – शरीर के जिन अंगों पर दाद हो, वहां बड़ी हरड़ को सिरके में घिसकर लगाएं, तुरंत लाभ होगा।
- – ग्वारपाठे के बीज को छाछ में पीसकर दाद पर लगाने से भी भी होता है।
- – सहिजन की जड़ की छाल को पानी में गाय के मूत्र से घिसकर दाद पर लेप करने से दाद मिटता है।
- – इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर लगाने से कुछ ही दिनों में दाद से छुटकारा मिलता है।