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Revenue Collection : वसूलने थे डेढ़ लाख, वसूले महज 7 हजार!

Revenue Collection: One and a half lakhs were to be recovered, only 7 thousand were recovered!

Revenue Collection

दुर्ग/नवप्रदेश। Revenue Collection : राजस्व वसूली का काम कर रही निजी कम्पनी स्पैरो की मनमानी कार्यप्रणाली नगर निगम पर ही भारी पड़ रही है। ऐसे दर्जनों मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें उक्त निजी कंपनी ने तय असिसमेंट से बेहद कम राशि वसूल की।

कम्पनी के खिलाफ लगातार शिकायतें आने के बाद भी आखिर नगर निगम के जिम्मेदार लोग चुप कैसे हैं यह अपने आपमें बडा सवाल है। पूरे मामले में महापौर धीरज बाकलीवाल व राजस्व विभाग के प्रभारी व पार्षद ऋषभ जैन की भूमिका को लेकर भी उंगलियां उठ रही है। इसकी न केवल उच्चस्तरीय जांच की मांग हो रही है बल्कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से निगम को लाखों रूपए का चूना लगाने वालों की शिकायत की भी तैयारी की जा रही है।

नगर निगम में प्रापर्टी टैक्स वसूली में घोटाला

नगर निगम में प्रापर्टी टैक्स वसूली में घोटाला पहले भी खुल चुका है। अभी ताजा मामला विवेकानंद नगर, बोरसी रोड से जुड़ा है। भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक, यशवंत साहू, बिरेन्द्र कुमार साहू व जितेन्द्र साहू पिता स्व. बहादुर साहू के व्यवसायिक क्षेत्र २४,४२५ वर्गफुट का असिसमेंट कराया गया था। असिसमेंट का यह कार्य स्पैरो कम्पनी के ही टीसी सरस निर्मलकर ने किया था। असिसमेंट में २०१६-१७ से लेकर वर्तमान में मार्च माह तक उन पर कुल १,५५,६५३ (एक लाख पचपन हजार छह सौ तिरपन) रूपए की देनदारी बतौर सम्पत्तिकर, समेकित कर, जल, शिक्षा उपकर व ठोस अपशिष्ट उपयोगकत्र्ता शुल्क के रूप में निकाली गई थी।

किन्तु राजस्व वसूली का काम करने वाली रांची की स्पैरो कम्पनी ने राजस्व के रूप में महज ७,४१८ रूपए ही वसूल किए। इस कम्पनी का पूरा कामकाज स्थानीय स्तर पर कोई अंकुर अग्रवाल देखते हैं। इससे नगर निगम को सीधे तौर पर १ लाख ४८ हजार २३५ रूपए की चपत लगी है। एक ओर जहां नगर निगम और उसके कर्मचारी अपनी दुरावस्था पर जार-जार आंसू बहा रहे हैं तो दूसरी तरफ खुलेआम इस तरह की लूट को अंजाम दिया जा रहा है।

जानकारियों के मुताबिक, इससे पहले भी स्पैरो कम्पनी (Revenue Collection) द्वारा तय असिसमेंट से कम राजस्व वसूले जाने की खबरें आती रही हैं। नगर निगम के राजस्व निरीक्षक राजूलाल चंद्राकर ने बाकायदा इन गड़बडिय़ों की शिकायत भी की थी। जांच कराई गई तो गड़बडिय़ों की पुष्टि भी हो गई। बावजूद इसके कम्पनी पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। अलबत्ता, बचा हुआ टैक्स जरूर वसूला गया। उल्लेखनीय है कि प्रापर्टी टैक्स का निर्धारण करने के लिए पहले से ही मापदंड तय हैं। किसी भी प्रापर्टी पर टैक्स मूल्यांकन के आधार पर लगाया जाता है।

टैक्स की यह राशि नगर निगम की शुद्ध इनकम होती है। जाहिर है कि मूल्यांकन से कम राशि वसूलने की स्थिति में सीधे-सीधे नगर निगम को ही नुकसान होता है। बताते हैं कि नगर गिम के राजस्व निरीक्षक प्रारम्भ में अपने क्षेत्र की सम्पत्तियों का असिसमेंट करते हैं। इसी के आधार पर डिमांड तैयार कर निजी कंपनी के टीसी को भेजा जाता है। और कंपनी का टीसी टैक्स वसूलता है। लेकिन यहां गड़बड़ यह हो रही है कि राजस्व निरीक्षकों के एसिसमेंट को रद्दी में डालकर सीधे अपने स्तर पर कम टैक्स वसूल किया जा रहा है। 

कई मामले आ चुके हैं सामने

वार्ड क्रं. ९ में नारायण कसार की सम्पत्ति का असिसमेंट पिछले साल कराया गया था। कुल २०,६७५ रूपए टैक्स निर्धारित किया गया। स्पैरो कम्पनी के कर्मचारियों ने असिसमेंट को दरकिनार कर प्रापर्टी धारक से महज ९,१२९ रूपए वसूले। वार्ड क्रं. ४३ में रत्ना पांडे पति राजीव पांडे की महाराजा चौंक के पास स्थित प्रापर्टी का असिसमेंट हुआ तो भवन का सम्पत्तिकर ५२ हजार से ज्यादा निर्धारित किया गया।

शिकायत के बाद जांच हुई तो टैक्स (Revenue Collection) की राशि बढ़कर १ लाख रूपए से ज्यादा निकली। इसी तरह वार्ड क्रं. ९ में पुसऊ राम चंद्राकर की सम्पत्ति का असिसमेंट कर ६८,०१६ रूपए टैक्स निर्धारित किया गया, लेकिन कम्पनी के कर्मचारियों से महज १९,२८३ रूपए बतौर टैक्स जमा करवाया। एक और मामला स्टेशन रोड में रंजीत सिंह गोकियानी का भी सामने आया था। उक्त प्रापर्टी धारक का १,४०,६०० रूपए टैक्स निर्धारण किया गया, किन्तु स्पैरो कम्पनी के कर्मचारियों ने महज ३८,१२८ रूपए ही जमा करवाए। 

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