रायपुर/नवप्रदेश। Reservation Bill Impasse : आरक्षण को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच राजभवन से आरक्षण के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई है। दरअसल रविवार को पत्रकारों एक सवाल के जवाब में राज्यपाल ने कहा था कि मार्च तक इंतजार कीजिए।
राज्यपाल के इस जवाब के बाद मुख्यमंत्री की तरफ से सवाल उठाया गया था कि आखिरकार मार्च में ऐसा क्या है जिसके बाद आरक्षण पर फैसला राज्यपाल लेगी। आज राज्यपाल की तरफ से इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी दी गई है।
राज्यपाल महोदया द्वारा मार्च 2023 तक इंतजार करने के लिये पत्रकार को दिया गया उत्तर के संबंध में वस्तुस्थित
दिनाँक 22 जनवरी 2023 को एक पत्रकार द्वारा राज्यपाल महोदया से आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण विधेयक पर 58 प्रतिशत को शासन को स्थगन देने से इंकार करने पर उनके द्वारा कहा गया कि मार्च तक इंतजार करिये।
इस संबंध में वास्तुस्थिति यह है कि शासन एवं सर्व आदिवासी समाज के श्री प्रकाश ठाकुर द्वारा सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में एक पिटीशन लगाई गई है।
जिसमें रायपुर हाईकोर्ट के दिनाँक 19 सित. 2022 के निर्णय से जनजाति समाज का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है।
शासन एवं सर्व आदिवासी समाज द्वारा हाई कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध स्थगन मांगा गया था, किन्तु कोर्ट द्वारा स्थगन नहीं दिया गया है।
इस पिटीशन में समाज की मांग है कि उनका आरक्षण वापिस 32 प्रतिशत किया जाए।
दिनाँक 16 दिसम्बर 2022 को हियरिंग थी जिसमें छग शासन द्वारा एक माह का समय उत्तर देने के लिये मांगा गया।
दिनाँक 16/1/2023 को भी शासन द्वारा उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपनी ओर सभी पक्ष को 4 मार्च 2023 तक उत्तर देने के लिये कहा और…….
दिनाँक 22-23 मार्च 2023 को अंतिम सुनवाई कर अपना निर्णय देने की बात कही है।
इसी परिपेक्ष्य में राज्यपाल द्वारा पत्रकार को उत्तर दिया गया है जिसका अर्थ लंवित आरक्षण विधेयक से जोड़ दिया गया है जबकि राज्यपाल महोदया का उत्तर सर्वोच्च न्यायालय के परिपेक्ष्य में था।
कुछ लोगों द्वारा सवैधानिक प्रमुख के लिये अमर्यादित भाषा बोलना उपयुक्त नहीं है।
राज्यपाल महोदया द्वारा पूर्व में भी शासन से क्वांटीफाईबल डाटा की रिपोर्ट तलब की गई है जो कि प्राप्त नहीं हुई है साथ ही उन्हें 10 प्रश्नों का उत्तर भी संतोषजनक (Reservation Bill Impasse) नहीं मिला है।