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Report Card : छग राज्य महिला आयोग का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा…जानें

Report Card : The tenure of Chhattisgarh State Commission for Women is full of achievements...Know

Report Card

साढ़े 6 माह में 1 हजार से ज्यादा जनसुनवाई, 34.4% मामले सुलझे

रायपुर/नवप्रदेश। Report Card : छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग का एक साल का कार्यकाल पूरा अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने गुरुवार को मीडिया के सामने अपना लेखा-जोखा रखते हुए कहा कि आयोग का रिपोर्ट कार्ड बहुत ही कम समय में कई उपलब्धियों से भरा हुआ है। इस कार्यकाल के दौरान 3 बार लॉकडाउन हुआ, जिससे साढ़े पांच महीने तक सब कुछ बंद रहा।इस बीच कोरोना संक्रमण के दिशा-निर्देशों के तहत जनसुनवाई नहीं हो सकी। यह एक ऐसा समय था जिसमें पीड़ितों से मुलाकात की जाती थी, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार की ओर से जनसुनवाई करने पर प्रतिबंध था।

इस प्रकार आयोग को अपने एक वर्ष के कार्यकाल में केवल साढ़े छह माह (Report Card) ही अधिकारिक कार्य करने का अवसर मिला। इसके बावजूद हमने बहुत कम समय में कुछ अच्छा करने की कोशिश की, ताकि ज्यादा से ज्यादा पीड़ितों को न्याय मिल सके। लॉकडाउन के दौरान पीड़ितों को उनके मामलों में टेलीफोन के माध्यम से राहत प्रदान की गई और कई मामलों में समाचार पत्रों के माध्यम से स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई की गई।

साढ़े छह माह में 62 की जनसुनवाई

अध्यक्ष ने इस एक साल में सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ का सघन दौरा किया और प्रत्येक जिले में जन सुनवाई भी किया। इस प्रकार 26 जिलों में इस साढ़े 6 माह में करीब 62 जन सुनवाईयां किया गया। इस दौरान 1 हजार 401 प्रकरणों की सुनवाई की जा चुकी है। इनमें से 410 प्रकरणों की सुनवायी अंतिम चरण तक पहुंची और उसे क्लोज किया। इस दौरान कई मामलों में उभय पक्षों के बीच समझौता करवाकर आयोग द्वारा उनके सुखी गृहस्थ जीवन की पुन: शुरूआत का प्रयास किया गया। कई प्रकरणों में आयोग की ओर से दोनों पक्षों की निगरानी भी किया जा रहा है।

आखिर पीडि़ताओं ने क्यों किया आयोग का रुख?

अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक (Report Card) के कार्यभार ग्रहण करते समय करीब 582 मामले पूर्व से लंबित थे। इन प्रकरणों में अध्यक्ष ने स्वयं होकर आग्रह दिखाया और तीव्र गति से नियमित जन सुनवाई की। इसका नतीजा ये हुआ कि महिलाओं का विश्वास आयोग के प्रति बढ़ा और न्यायालय की शरण लेने की जगह वे आयोग का रूख किया। इसके पीछे एक और कारण भी माना जा रहा है, आयोग में महिलाओं को किसी भी प्रकार की राशि व्यय नहीं करनी पड़ता। न ही उन्हें कोई वकील की जरूरत पड़ती है। बिना किसी परेशानी और खर्च के उनके समस्याओं का वैधानिक समाधान भी आयोग में किया जा रहा है।

आयोग की सुझबुझ से प्रतिवर्ष 6 लाख की बचत

ज्ञात हो पूर्व में राज्य महिला आयोग का कार्यालय किराये के भवन में संचालित हो रहा था। जिसका प्रतिमाह 50 हजार रूपये किराया लग रहा था। डॉ. नायक ने सीएम को सुझाया कि रायपुर में खाली पड़े शासकीय भवन का उपयोग कर सकते है, इससे किराये की राशि भी बचेगी। इसके बाद सीएम भूपेश बघेल ने शहर के ह्नदयस्थल शास्त्री चौक में महिला आयोग को सरकारी भवन आबंटित कराया। जिसका उद्घाटन सीएम ने इसी वर्ष 1 मार्च को किया। महिला आयोग का अपना कार्यालय होने एवं वह शहर के बीचोबीच आने से कार्यों के निष्पादन में भी तेजी तो आई ही है साथ ही साथ इससे शासन का प्रतिवर्ष करीब 6 लाख रूपये का बचत भी किया।

लॉकडाउन में वॉट्सऐप कॉल ने दी पीड़ितों को राहत

लॉकडाउन के दौरान व्हाटसएप कॉल सेंटर का शुभारंभ किया। इसी वर्ष 8 मार्च महिला दिवस (Report Card) पर इसकी शुरूवात हुई। जिसमें लॉकडाउन के दौरान पीडि़त महिलाओं को आयोग तक शिकायत आवेदन भेजने और सुनवाई में सुविधा हो सके। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में व्हाटसपएप कॉल सेंटर की सारी प्रक्रिया पूरा कर व्हाटसएप कॉल नं. 90983-82225 लिया गया। दरअसल मुख्यमंत्री ने भी महिला आयोग के कार्यों को तेज गति से करने के लिए हर तरह की प्रशासनिक सहयोग देने में पीछे नहीं हटी। राज्य महिला आयोग ने राष्ट्रीय महिला आयोग के द्वारा दिये गये कार्यक्रम में महिला दिवस को बिलकुल जुदा अंदाज में मनाया था। इसमें मेंन फॉर वुमेन की थीम पर किया था। जिसमें सभी पुरूष वक्ता सम्मिलित थे। उन्होंने अपने जीवन में महिलाओं की भूमिका पर अपना व्यक्त दिए थे। जिसमें प्रदेश के प्रमुख व्यक्ति महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा, डीजीपी डी एम अवस्थी, शिक्षाविद जवाहर शूरी शेट्टी और डॉ. देवेन्द्र नायक शामिल थे।

महिला आयोग की ये बड़ी उपलब्धियां

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