बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में इस बार जो नज़ारा देखने को मिला, उसने राजनीति (Record Voting in Bihar) के दिग्गजों को भी चौंका दिया। मतदाताओं का उत्साह इतना अभूतपूर्व रहा कि कई सीटों पर रिकॉर्ड मतदान दर्ज हुआ। यह केवल चुनाव नहीं, बल्कि जनता के जागरूक होने और अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी को समझने की मिसाल बन गया।
प्रथम चरण में 121 सीटों पर मतदान हुआ, जिनमें से 25 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में 70 प्रतिशत से ऊपर वोटिंग ने राजनीतिक दलों की गणना को उलझा दिया है। आंकड़ों से साफ है कि इस बार जनता ने सिर्फ नारे नहीं, बल्कि काम और परिणामों को आधार बनाया है।
गांवों में सुबह से ही लंबी कतारें दिखीं — महिलाएं, युवा और पहली बार वोट (Record Voting in Bihar) डालने वाले मतदाता अपनी बारी का इंतज़ार करते दिखे। बूथों पर माहौल त्योहार जैसा था। कई इलाकों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा रही, जो यह संकेत देती है कि बिहार की राजनीति में अब महिला मतदाता निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।
युवा मतदाताओं का नया संदेश
युवा वर्ग इस बार चुनाव का सबसे सक्रिय चेहरा बनकर उभरा। बेरोज़गारी, शिक्षा और विकास के मुद्दों पर उनका ध्यान केंद्रित रहा। यह वर्ग किसी पार्टी की परंपरागत राजनीति से नहीं, बल्कि अपने भविष्य की संभावनाओं से प्रभावित होकर मतदान करता दिखा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह रिकॉर्ड मतदान एक ‘मिश्रित संकेत’ है — कोई भी दल इसे पूरी तरह अपने पक्ष में या विपक्ष के रूप में नहीं देख सकता। सत्ता पक्ष के लिए यह जनता के भरोसे का प्रतीक हो सकता है, जबकि विपक्ष इसे जन असंतोष का रूप बता रहा है।
एनडीए नेताओं का तर्क है कि भारी मतदान विकास योजनाओं और स्थिर शासन पर जनता के विश्वास को दर्शाता है। वहीं, विपक्षी दलों का मानना है कि यह असाधारण मतदान जनता की ‘चुप्पी में छिपी नाराजगी’ का इशारा है, जो नतीजों में दिखेगी।
चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि रिकॉर्ड मतदान (Record Voting in Bihar) हमेशा सत्ता विरोधी लहर को जन्म देता है, लेकिन कभी-कभी यह सत्ताधारी दल के लिए भी अप्रत्याशित लाभ का कारण बन जाता है। यही वजह है कि हर दल अब इस आंकड़े को अपने-अपने तरीके से पढ़ने की कोशिश कर रहा है।

