भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय प्रणाली में नकदी की उपलब्धता बनाए रखने के लिए एक बड़ी घोषणा की है। केन्द्रीय बैंक इस महीने खुले बाजार परिचालन (RBI Open Market Operation) के तहत एक लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियां खरीदेगा, जिससे बैंकों और एनबीएफसी (NBFC) सेक्टर को अतिरिक्त तरलता मिल सके।
आरबीआई द्वारा की गई यह घोषणा ऐसे समय आई है जब दिसंबर में अग्रिम कर (Advance Tax) की तीसरी किस्त जमा होनी है, जिसके चलते बैंकिंग सिस्टम से बड़ी मात्रा में धन बाहर जाता है। इस स्थिति से तरलता पर दबाव पड़ सकता था, इसलिए OMO के माध्यम से नकदी पुनः पंप किए जाने की तैयारी की गई है।
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि OMO का उद्देश्य दीर्घकालिक टिकाऊ तरलता उपलब्ध कराना है, वहीं रेपो परिचालन अल्पकालिक नकदी प्रबंधन का साधन है। उन्होंने स्पष्ट कहा — मौद्रिक नीति का मुख्य उपकरण रेपो रेट ही है, और अल्पकालिक ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव आगे चलकर लंबी अवधि के रेट्स पर भी प्रभाव डालते हैं। इस कदम से बाजार में निवेश क्षमता बढ़ेगी, कर्ज वितरण सुचारू होगा और वित्तीय प्रवाह बाधित नहीं होगा।
इसके साथ ही RBI पांच अरब डॉलर की तीन वर्षीय Dollar/Rupee Swap व्यवस्था भी करने जा रहा है, ताकि विदेशी मुद्रा विनिमय के माध्यम से नकदी को संतुलित रखा जा सके। यह कदम बैंकिंग सेक्टर को अतिरिक्त breathing space देगा, खासकर तब जब festive spending, tax outflow और credit demand एक साथ दौड़ में हों।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम बॉन्ड मार्केट में स्थिरता लाएगा, lending rate को आराम देगा और NBFCs को उधारी व क्रेडिट विस्तार में सहायता मिलेगी। वित्तीय प्रणाली में liquidity मजबूत रहने से MSME, हाउसिंग और वाहन ऋण के प्रवाह में भी सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे सकता है।

