-पंडित अर्जुन शर्मा का जन्म 26 फरवरी 1949 में हुआ और उनका स्वर्गवास 1 अगस्त 2021 में हुआ
जितेन्द्र नामदेव
कवर्धा/नवप्रदेश। Ram Lala Pran Pratishtha: 10 मार्च 1994 से को शुरू हुए राम नाम संकीर्तन से पूरा मंदिर परिसर भक्तिमय हो गया है। यहां रामनाम का संकीर्तन करने दूर-दराज से श्रद्घालु आते हैं। स्थानीय बूढ़ा महादेव मंदिर में राम नाम संकीर्तन का आयोजन 1994 में प्रारंभ किया गया जो आज भी निरंतर जारी है। ब्रह्मलीन स्वामी करपात्री जी के शिष्य पंडित अर्जुन शर्मा ने इसे प्रारंभ किया। पंडित अर्जुन शर्मा का जन्म 26 फरवरी 1949 में हुआ और उनका स्वर्गवास 1 अगस्त 2021 में हुआ। पंडित अर्जुन प्रसाद शर्मा लगातार जनकल्याण के लिए कार्य करते रहे।
इन्होंने शिक्षा, संस्कृति, पर्यावरण सहित अनेक ऐसे पुनीत कार्य किए हैं जो आज भी कवर्धा में निरंतर जारी है। आज हम स्वर्गीय श्री अर्जुन प्रसाद शर्मा के पुत्र वीरेंद्र शर्मा से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि 1994 में राम नाम संकीर्तन महायज्ञ का आयोजन किया गया । जिसमें बड़ी संख्या में लोग हर रोज मंदिर पहुंचकर भगवान श्री राम के नाम का जाप करते आ रहे हैं, और राम नाम संकीर्तन आज भी जारी है।
कलयुग केवल नाम अधारा
- वीरेंद्र प्रदास शर्मा
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कलयुग में सिर्फ नाम ही आधार है , जो हमें इस भवसागर से मुक्ति दिलायेगा। भले ही आज पंडित अर्जुन प्रसाद शर्मा जी नहीं रहे। लेकिन उनके द्वारा जो रामधुन की अलख जगाई गई थी वह आज भी निरंतर सुचारू रूप से चल रहा है। गौ सेवा सहित अनेक कार्य उनके द्वारा किए गए हैं जो स्मरणीय हैं।
पंडित अर्जुन प्रसाद शर्मा ने लोगों के कल्याण के लिए सर्वप्रथम 2 अगस्त 1989 में अमरकंटक से कवर्धा नर्मदा जल लेकर कांवरी पद यात्रा प्रारंभ किया गया। जो वर्तमान में कवर्धा और अमरकंटक में विशाल रूप लेता जा रहा है। इनके संरक्षण ही संरक्षण में 1993 में ब्राम्हण समाज के उन्नाति एवं यजमानों के कल्याण के लिए शम्भू शिवलिंग जलेश्वर महादेव डोंगरिया में सूर्य यज्ञ समाज के ब्राम्हणों द्वारा विधिवत भिक्षा अपने यजमानों से ही लेकर शास्त्रीय विधि-विधान से पूर्ण किया।
पूर्वामान्य गोवर्धन पीठ के 144वें शंकराचार्य निरंजन देवतीर्थ जी महराज से माघी पूर्णिमा 1994 को कांशीवास के समय वृंदावन भवन में अखंड सीताराम संकीर्तन प्रारंभ करने के लिए आर्शीवाद प्राप्त किया। सीताराम नाम संकीर्तन महायज्ञ छत्तीसगढ़ का एकमात्र सीताराम संकीर्तन रात-दिन चौबीस घंटे चलने वाला संकीर्तन महायज्ञ है। इस महायज्ञ में लोग स्वस्फूर्त पारी-पारी से रामनाम रूप संकीर्तन का जाप करते रहते है। यह संकीर्तन महायज्ञ आगे भी प्रवाहमान होता रहेगा।
कवर्धा की रियासत में साधु-संतों की तपोभूमि
रियासत काल में कवर्धा रियासत के प्रथम राजा महाबली दीवान का महल इसी क्षेत्र में बना था, जिस स्थान पर पंचमुखी शिवलिंग है। वह साधु-संतों की तपोभूमि भी रही है। बूढ़ा महादेव मंदिर में दिव्य पंचमुखी शिवलिंग रियासत काल से भी पूर्व स्वयंभू शिवलिंग है।
छत्तीसगढ़ का अद्वितीय शिवलिंग
पांच-पांच मुख वाले शिवलिंग एक-एक शिवलिंग में पांच-पांच मुख है। कुल 25 लिंगों का अद्भूत शिवलिंग है। सांख्य दर्शन के लिए अनुसार भगवान शंकर पंचभूत अर्थात पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु हैं। पंचमुखी बूढ़ा महादेव के शिवलिंग भी इसी तरह है। माना जाता है कि यह दुर्लभ और अद्वितीय शिवलिंग है, जिसके चलते ही इसकी ख्याति है।