नई दिल्ली, 27 जून| Rajnath Singh China Meeting : भारत और चीन के बीच लंबे समय बाद फिर बनी गर्मजोशी की पृष्ठभूमि में, एक दुर्लभ लेकिन बेहद प्रतीकात्मक क्षण सामने आया—जब भारत के रक्षा मंत्री ने अपने चीनी समकक्ष को पारंपरिक मधुबनी पेंटिंग भेंट की। लेकिन यह केवल एक सांस्कृतिक सौगात नहीं थी, बल्कि आने वाले द्विपक्षीय संबंधों की ‘नई रेखाएं’ और ‘रंगों’ का इशारा भी थी।
बातचीत में क्या रहा खास?
किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर हुई इस मुलाकात में रचनात्मक और दूरदर्शी संवाद पर फोकस रहा। बातचीत की सबसे बड़ी उपलब्धि रही – कैलाश मानसरोवर यात्रा का दोबारा शुरू होना। छह साल बाद यह पवित्र यात्रा फिर से चालू हो रही (Rajnath Singh China Meeting)है और भारत ने इसे “सांस्कृतिक पुल” बताया है, जो आध्यात्मिक रिश्तों को मजबूत करता है।
राजनीति से आगे सोचने की दिशा
भारत ने यह स्पष्ट किया कि नई जटिलताएं जोड़ने से बचना और सकारात्मक प्रवाह बनाए रखना दोनों देशों की जिम्मेदारी है। बयान भले औपचारिक रहे हों, लेकिन मधुबनी पेंटिंग की भेंट ने संकेत (Rajnath Singh China Meeting)दे दिया कि यह केवल राजनीतिक मीटिंग नहीं, बल्कि भावनाओं और भविष्य की रूपरेखा का एक साझा कैनवास था।
साझा बयान पर भारत का रुख
जहां कई देश संयुक्त घोषणाओं पर हस्ताक्षर करते दिखे, भारत ने संप्रभुता और आतंकवाद पर अपने मूलभूत रुख से कोई समझौता नहीं किया। यह संकेत भी साफ रहा – शांति जरूरी है, पर मूल्य आधारित।