राजनांदगांव, नवप्रदेश। कुमर्दा के निकट बसे गाँव लाटमेटा में बीते कई दिनों से प्रशासन की आँखों मे धूल झोंककर मुरुम का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि, उत्खनन का उक्त कार्य किसी बड़े प्रशासनिक अधिकारी के ईशारे पर किया जा रहा है।
जिसके कारण तहसीलदार और एसडीएम भी इस ओर झांकने भी नहीं जा रहे। उपरोक्त मामले की शिकायत एक ज्ञापन के माध्यम से हिन्दू युवा मंच के प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर डोमन सिंह से की है।
गोपनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम लाटमेटा में पिछले कई दिनों से दिन और रात मुरुम का अवैध रूप से और लगातार खनन किया जा रहा है। पता चला है कि, इसके पीछे राजनांदगाँव जिले में पूर्व में पदस्थ किसी बहुत बड़े प्रशासनिक अधिकारी का हाथ है। जिसके कारण गांव वाले भी सकते में हैं और खुलकर शिकायत भी नहीं कर पा रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक जहां पर मुरुम की अवैध खुदाई चल रही है समीप ही एक नई राईस मिल खुली है। बारिश के कारण वहां दल-दल हो जाने और रास्ता गीला होने की वजह से भारी वाहनों की आवाजाही में खासी दिक्कतें हो रही है। भारी वाहनों को मिल के अंदर आने और जाने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो इसके लिए अवैध रूप से मुरुम खोदी जा रही है और राईस मिल वाले रास्ते पर मजबूत रैम बनाने पाटी जा रही है।
बताया जा रहा है कि, अब तक सैकड़ों ट्रीप माजदा मुरुम रास्ता बनाने के नाम पर डंप की जा चुकी है। गोपनीय सूत्रों का यह भी कहना है कि, उपरोक्त राईस मिल राजनांदगांव में पदस्थ किसी बहुत बड़े प्रशासनिक अधिकारी का है जिसने कागज में दिखाने अपने रिश्तेदार के नाम पर राईस मिल खुलवाई है।
जिसके कारण ही संबंधित विभाग छापेमारी की कार्यवाही करने से बच रहा हैं। वहीं जहां से मुरुम खोदी जा रही है वह भूमि किसी आदिवासी किसान की है और किसान को विश्वास में लेकर, उसे गुमराह करते हुए खेत बनाने के नाम पर मुरुम की अवैध रूप से खुदाई की जा रही है और राईस मिल वाले रास्ते पर खपाई जा रही है। यहां तक तो कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन मुरुम माफिया ने खनन करते करते ग्रामीणों के लिए आने जाने वाले मार्ग को ही खोदना शुरू कर दिया है।
रास्ते के किनारे मुरुम का खनन इतनी गहराई में किया जा रहा है कि, कोई भूले से भी अगर उस गड्ढे में गिरा तो फिर उसको गंभीर चोंटे आ सकती है यहां तक उसकी जान भी जा सकती है। इतना ही नहीं भारी बारिश के कारण आने वाले समय मे उक्त मार्ग का कटाव होना भी शुरू हो जाएगा और मार्ग संकरा हो जाने के कारण रास्ता बह भी सकता है और ग्रामीणों का संपर्क गाँव से टूट सकता है।
मुरुम माफिया आज तो मुरुम खोदकर चले जायेंगे, लेकिन बाद में परेशानी तो गाँव वालों को ही उठानी पड़ेगी। जिसको सोच कर ही अब ग्रामीणों के बीच इसका विरोध करने की आग सुलग रही है। ऐसा न हो कि, मुरुम का यह अवैध और बेतरतीब खनन आने वाले दिनों में किसी बड़े आंदोलन को आमंत्रित कर दे।