राजनांदगांव, नवप्रदेश। तंबाकू मुक्त ग्राम पंचायत के लिए स्वास्थ्य विभाग के आग्रह पर पंचायत संचालनालय द्वारा सभी कलेक्टर को 20 अगस्त से होने वाली प्रत्येक ग्रामसभा की बैठक के एजेंडे में तंबाकू मुक्ति पर चर्चा एवं सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा अधिनियम) 2003 के प्रभावी क्रियान्वयन को अनिवार्य किया गया है।
तंबाकू के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों का व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए भावी पीढी को तंबाकू के सेवन से दूर रखने के प्रयास में तंबाकू मुक्त ग्राम पंचायत बनाने के लिए अब आयोजित होने वाली सभी ग्राम सभाओं के एजेंडे में तंबाकू उपयोग निषेध एवं तंबाकू उत्पाद अधिनियम पर चर्चा को अनिवार्य किया गया है।
ग्राम सभाओं के आयोजन के संबंध में समस्त कलेक्टर को पंचायत संचालनालय द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं जिसमें तंबाकू मुक्त ग्राम पंचायत के क्रियान्वयन पर चर्चा को भी शामिल किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा बीते दिनों पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को इस संबंध में पत्र जारी कर तंबाकू मुक्त ग्राम पंचायत के क्रियान्वयन का आग्रह किया गया था जिसमें वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण 2019 के अनुसार प्रदेश में 3911 प्रतिशत तंबाकू उपयोगकर्ता होने तथा इनमें से 53.7 पुरूष एवं 24.6 प्रतिशत महिला तंबाकू उपयोगकर्ता का जिक्र किया गया है।
13 से 15 आयु वर्ग के युवाओं में इसकी व्यापकता 8 प्रतिशत होने के साथ ही तंबाकू उत्पादों के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता लाने तथा सिगरेट एवं तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 के प्रावधानों का पालन करने एवं अंतरविभागीय समन्वय से तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम चलाए जाने की जानकारी भी साझा की गई है।
जारी पत्र में तंबाकू के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों का व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए तंबाकू का सेवन छो¸ड़ने वालों को परामर्श, काउंसिलिंग एवं दवाओं के जरिए मदद किए जाने से भी अवगत कराया गया। जिसके बाद पंचायत संचालनालय द्वारा छत्तीसगढ़ के समस्त कलेक्टरों को 20 अगस्त से आयोजित होने वाली ग्रामसभा में इस पर विशेष रूप से चर्चा करने का निर्देश दिया है।
इस संबंध में राज्य नोडल अधिकारी तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम, डॉ. कमलेश जैन ने बताया : राज्य की 76.76 प्रतिशत आबादी गांव में बसती है और यहां ग्राम पंचायतों की अहम भूमिका रहती है। विकास के लिए लोगों की प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष भागीदारी जरूरी है, जो ग्राम पंचायतों की सहभागिता से संभव है।
इसलिए पंचायतों के द्वारा तंबाकू नियंत्रण लागू करवाने को प्राथमिकता दी जा रही है, क्योंकि सामुदायिक भागीदारी से ही तंबाकू मुक्त पंचायत का सपना साकार हो सकेगा। इसी कड़ी में तंबाकू मुक्त ग्राम पंचायत के निर्माण के लिए पिछले दिनों स्वास्थ्य संचालक ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को पत्र लिखकर ग्राम सभा में,
तंबाकू के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों तथा सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम के क्रियान्वयन को अपने एजेंडे में शामिल करने का आग्रह किया था, ताकि समस्त ग्राम पंचायत तंबाकू मुक्त हो सकें।