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Rajnandgaon : सर्दी-बुखार की दशा में भी शिशु को स्तनपान करवा सकती है मां

Rajnandgaon,

राजनांदगांव, नवप्रदेश। शिशुओं के सुदृढ़ स्वास्थ्य के लिए जिले भर में स्तनपान जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस दौरान धात्री माहिलाओं को स्तनपान कराने से होने वाले स्वास्थ्यगत लाभ की व्यापक (Rajnandgaon) जानकारी दी जा रही है।

साथ ही उचित पोषण आहार व स्वच्छता के प्रति भी उन्हें जागरुक किया जा रहा है। यह सभी कार्यक्रम कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु शासन द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन करते हुए आयोजित (Rajnandgaon) किए जा रहे हैं।

स्तनपान के प्रति समाज में जागरुकता लाने तथा इस विषय में विभिन्न भ्रांतियों को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। हर साल 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है।

स्तनपान जागरुकता के क्रम में छुईखदान परियोजना के आंगनवाड़ी केंद्र चकनार और खैरागढ़ परियोजना के अतरिया सेक्टर में भी कई प्रेरक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शिशुवती माताओं (Rajnandgaon) को स्तनपान के संबंध में जानकारी देने के साथ ही प्रश्नोत्तरी सत्र भी आयोजित किया गया,

जिसमें शिशुवती माताओं ने स्तनपान से संबंधित सवाल पूछे और महिला आरएचओ ने उत्तर देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। इस मौके पर लाभार्थी शांता बाई ठाकुर (परिवर्तित नाम) ने पूछा, मां बीमार होने की स्थिति में शिशु को स्तनपान करा सकती है या नहीं?

इसका उत्तर देते हुए आरएचओ ने बताया, यदि बच्चा बीमार हो जाता है तो उसकी बीमारी स्तनपान कराने से कम हो जाती है। वहीं यदि मां को सर्दी-बुखार हो जाए तब भी वह बच्चे को स्तनपान करवा सकती है।

मां तभी बच्चे को स्तनपान नहीं करवा सकती है जब उसे एचआईवीए टीबी या एचटीएल वी1 (एक प्रकार का रेट्रोवायरस) हो। वहीं तिलेश्वरी निषाद (परिवर्तित नाम) ने पूछा, लेटी हुई अवस्था में शिशु को स्तनपान कराना कितना सुरक्षित है? इस पर उन्हें बताया गया, लेटकर भी शिशु को स्तनपान करवाया जा सकता है।

यह पूरी तरह सुरक्षित होता है। अंत में कार्यक्रम में उपस्थित लाभार्थियों को प्रमाण-पत्र भी वितरित किया गया। इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया, स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम में पुरुषों की भी भागीदारी अनिवार्य करने का प्रयास किया गया।

इसके अंतर्गत पुरुषों को यह समझाइश देकर जागरुक करने का प्रयास किया गया कि शिशुवती माता जब शिशु को स्तनपान करवा रही हो तो घर के अन्य कार्य में हाथ बंटाकर पुरुष उनका सहयोग करें। आगे उन्होंने बताया, जिन शिशुओं को 1 घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33 प्रतिशत अधिक होती है।

6 माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर आम रोग जैसे दस्त-निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 से 15 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है। स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है। इसीलिए शिशु के 6 माह पूरे होने के बाद ही शिशु को संपूरक आहार देना प्रारंभ करना चाहिए एवं शिशु के 2 वर्ष पूर्ण होने तक स्तनपान कराते रहना चाहिए।

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