नई दिल्ली, नवप्रदेश। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी तथा कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि विश्व में भारत सबसे बड़ा ‘कनेक्टेड’ देश है,
जहां 800 मिलियन से अधिक ब्रॉडबैंड उपयोगकर्ता मौजूद हैं। वे कल इंडिया इंटरनेट गवर्नेंस फोरम 2022 के समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
समारोह की विषयवस्तु ‘लेवरेजिंग टेकेड फॉर एम्पॉवरिंग भारत’ (भारत के सशक्तिकरण के लिये प्रौद्योगिकी के दशक का उपयोग) था। इस अवसर पर इल्केट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री अल्केश कुमार शर्मा और अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि हमारे देश में 800 मिलियन उपयोगकर्ता हैं, जिसके आधार पर हम दुनिया में सबसे बड़े ‘कनेक्टेड’ देश हैं। भारत-नेट की 5-जी और सबसे बड़ी ग्रामीण ब्रॉडबैंड कनेक्टीविटी नेटवर्क परियोजना के तहत 1.2 अरब भारतीय उपयोगकर्ता होंगे।
इस तरह वैश्विक इंटरनेट में हमारी सबसे बड़ी उपस्थिति हो जायेगी। उन्होंने कहा कि हम आगे और प्रौद्योगिकीय नवोन्मेष की आशा करते हैं। साथ ही हमें यह भी अपेक्षा है कि उन्नत नियामक नीतियां प्रासंगिक बनी रहेंगी।
चंद्रशेखर ने कहा कि सभी हितधारकों की गहरी संलग्नता इस वैश्विक मानक साइबर विधिक प्रारूप के तीसरे चरण के रूप में सामने आयेगी। आशा की जाती है कि इससे भारतीय इंटरनेट और अर्थव्यवस्था में तेजी आयेगी।
राज्यमंत्री महोदय ने कहा कि भारत के पास एप्लीकेशनों के समुच्चय के प्रमाणीकरण प्रक्रिया की जबरदस्त क्षमता मौजूद है, जो वह सबके लिये पेश करता है।
साथ ही भारत के पास विश्व के दक्षिणी भू-भाग में आने वाले देशों को इंटरनेट की सुविधा सुगम बनाने की भी क्षमता है। ये देश अभी तक अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण में तेजी नहीं ला पाये हैं, जो उनकी अर्थव्यवस्था के इंटरनेट-आधारित होने के लिये जरूरी है।
उन्होंने कहा कि जी-20 अध्यक्षता के दौरान, प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि वे विश्व के दक्षिणी भू-भाग के उन सभी देशों के लिये इस प्लेटफॉर्म को खोल देंगे, जो देश भारत के मॉडल के अनुसार अपनी डिजिटल अर्थव्यवस्था और अपनी शासन-प्रणाली को बदलना चाहते हैं।
भारत के इंटरनेट संसार का बहु-हितधारक स्वरूप बड़े प्रयासों के बाद वजूद में आया है। अगले कुछ वर्षों में यह बहु-हितधारक संलग्नता बौद्धिक अकादमिक चर्चा से आगे निकल जानी चाहिये,
ताकि इंटरनेट व नवोन्मेष में बढ़ोतरी सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही भारत के एक अरब डिजिटल नागरिकों को सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदार व्यवस्था उपलब्ध कराई जा सके।