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लो… अब मेयर बनने के लिए पार्षद का चुनाव लड़ना भी नहीं रहा जरूरी

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जयपुर/नवप्रदेश। राजस्थान (rajasthan)देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहां नगर निगम का चुनाव (election) लड़े बिना भी (witout contesting) किसी को महापौर (mayor) बनाया जा सकता है। यानी यदि कोई व्यक्ति पार्षद नहीं भी है तो उसे महापौर बनाया जा सकता है। राजस्थान की कांग्रेस सरकार (congress government) ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। अपने प्रकार की यह नई व्यवस्था करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है।

हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं किया गया है कि बिना चुनाव (election) लड़े (withot contesting) महापौर (mayor) बनने वाले शख्स को बाद में चुनाव लड़ना होगा या नहीं और यदि लड़ना होगा तो कितने दिन में। अधिसूचना के मुताबिक राजस्थान (rajasthan) में महापौर के साथ ही नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों के अध्यक्षों को चुनने में भी यह व्यवस्था लागू होगी।फिलहाल ऐसी व्यवस्था से सिर्फ मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री चुने जाते हैं।

गौरतलब है कि हाल ही में  राजस्थान की कांग्रेस सरकार(congress government) ने राज्य में महापौर, नपा व नपं अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के फैसला लिया था। इसके लिए निकाय चुनाव संबंधी कानून में बदलाव किया गया था। यह भी खास है कि राज्य  में कभी कांग्रेस सरकार ने ही प्रत्यक्ष निवार्चन प्रणाली को लागू किया था।

मजबूरी बताई जा रही फैसले की वजह

गहलोत सरकार के इस फैसले के पीछे की वजह विधानसभा चुनाव (election) हार चुके कांग्रेस (congress) के  दिग्गज नेताओं को संतुष्ट करना बताया जा रहा है। जानकारों का ऐसा मानना है सरकार और पार्टी नहीं चाहती कि अपने पास कोई पद न होने के कारण नाराज ऐसे नेता बागी हो जाए। जानकारों का यह भी कहना है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी के कई दिग्गज नेता विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा में शामिल हो गए। ऐसे में कांग्रेस अन्य राज्यों में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। इसलिए विधानसभा चुनाव हार चुके अपने नेताओं को संतुष्ट कर उन्हें पार्टी खुद से जोड़े रखना चाहती है।

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