Rajasthan Assembly Election : जगन रेड्डी की राह पर पायलट

Rajasthan Assembly Election : जगन रेड्डी की राह पर पायलट

Rajasthan Assembly Election: Pilot on the path of Jagan Reddy

Rajasthan Assembly Election

Rajasthan Assembly Election : राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले है लेकिन वहां कांग्रेस की कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उन्होने अभी पूरे प्रदेश की पदयात्रा की और अब वे भ्रष्टाचार के कथित मुद्दे को लेकर आंदोलन की चेतावनी दे रहे है। जब से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी है तो पूरे साढ़े चार साल तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच शीत युद्ध चलता ही रहा है। अब ज्यों-ज्यों चुनाव पास आ रहे है दोनों के गुटों के बीच तलवारे खीचने लगती है।

कंाग्रेस हाई कमान ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेद दूर करने की अब तक जितनी भी कोशिशें की उसका कोई कारआदम नतीजा सामने नहीं आया उल्टे अब दोनों के बीच मतभेद मनभेद बन गए है। ऐसा लगता है कि अपनी उपेक्षा से पीडि़त होकर अब सचिन पायलट ने अलग रास्ता अख्तियार करने का मन बना लिया है। पूर्व में आंध्र प्रदेश में भी जगन मोहन रेड्डी इसी तरह उपेक्षा को शिकार हुए थे और कांग्रेस हाईकमान ने बुजुर्ग नेताओं को महत्व दिया था इससे आहत होकर जगन मोहन रेड्डी ने गुलामी का लबादा उतार फेंका था और पूरे प्रदेश का दौरा कर अपनी अलग पार्टी बना ली थी।

पहले बात जगन मोहन रेड्डी और सचिन पायलट की कुछ समानताओं की करते हैं. इन दोनों का ही जन्म सत्तर के दशक में हुआ. जगन और सचिन दोनों के पिता ही आजीवन कांग्रेस में रहे. दोनों के ही पिता का निधन राजनीति के शिखर पर आकस्मिक दुर्घटना में हुआ. दोनों ने ही अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभाली. दोनों ही दो हजार के दशक में कांग्रेस में आए. दोनों ही इसी दशक में यानि सचिन पायलट 2004 में और जगन 2009 में पहली बार संसद सदस्य बने. दोनों नेताओं का ही अपने राज्य के युवाओं में खासा क्रेज है.इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने प्रचण्ड बहुमत हासिल कर लिया और कांग्रेस का सुपड़ा साफ कर दिया।

सचिन पायलट के रूख को देखकर यदि लगता है कि वे भी जगन मोहन रेड्डी की राह पर चलने का मन बना चुके है। यदि ऐसा होता है तो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राजस्थान में करारा झटका लग सकता है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भले ही कहें कि तीसरे मोर्चे को राजस्थान की जनता पसंद नहीं करती, लेकिन गहलोत के साथ ही कांग्रेस आलाकमान से भी उनकी बढ़ती दूरियां भविष्य के ऐसे ही संकेत दे रही हैं कि कांग्रेस में उनका ज्यादा भला होने की उम्मीद कम है।

सचिन पायलट अपनी ही पार्टी के नेता और सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Rajasthan Assembly Election) के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और अगर यही स्थिति रही तो फिर पार्टी के लिए चुनाव में मुश्किल खड़ी हो सकती है. साल 2018 में जब सचिन पायलट पार्टी के अध्यक्ष थे तब उनके नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में आई थी लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बने, तब पायलट को डिप्टी सीएम के संतोष करना पड़ा लेकिन 2020 में पायलट सरेआम बागी हो गए. अब उन्होंने कहा है कि बातें अगर नहीं मानी गई तो आंदोलन करेंगे।

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