रांची/ चाईबासा, 3 जून। Rahul Gandhi NBW : भारतीय राजनीति के सबसे चर्चित चेहरों में से एक राहुल गांधी एक बार फिर कानूनी पचड़े में हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर की गई टिप्पणी के मामले में चाईबासा की निचली अदालत ने गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए उन्हें 26 जून को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है। अब इस वारंट के खिलाफ राहुल गांधी ने झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
क्या है याचिका में राहुल की दलील?
राहुल गांधी की याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ जारी वारंट अवैध है क्योंकि उन्होंने पहले से ही व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर रखी (Rahul Gandhi NBW)है। जब उच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन है, तब ट्रायल कोर्ट द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करना न्यायिक प्रक्रिया के विपरीत है।
मामले की पृष्ठभूमि:
यह विवाद 2018 में दिल्ली में हुए कांग्रेस के एक अधिवेशन से जुड़ा है, जहां राहुल गांधी ने कहा था—
“भाजपा में हत्या के आरोपित को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है और वे गर्व से उसे स्वीकारते हैं, कांग्रेस में ऐसा नहीं हो सकता।”
यह टिप्पणी सीधे तौर पर अमित शाह को लक्ष्य कर कही गई (Rahul Gandhi NBW)थी, जिसे लेकर झारखंड के चाईबासा में मामला दर्ज हुआ।
सियासी मायने:
इस याचिका ने फिर से राजनीति और न्यायपालिका की टकराहट को चर्चा में ला दिया है। कांग्रेस इसे “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला” बता रही (Rahul Gandhi NBW)है, जबकि भाजपा इसे “कानून की अवमानना का गंभीर मामला” मान रही है।