नई दिल्ली, 21 जून| Rahul Gandhi English Language : देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक संस्था में उठे एक भाषाई बहस ने अब नई शक्ल ले ली है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अंग्रेज़ी भाषा को लेकर दिए गए हालिया बयानों पर पलटवार करते हुए इसे गरीबों के लिए शक्ति का औजार बताया है, न कि शर्म का कारण। राहुल ने यह मुद्दा सिर्फ भाषाई पहचान का नहीं, बल्कि सामाजिक अवसर और समानता का बताया।
“अंग्रेज़ी जंजीर नहीं, जंजीरें तोड़ने का औजार है”
राहुल गांधी ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में स्पष्ट शब्दों में कहा,
“अंग्रेजी बांध नहीं, पुल है। अंग्रेजी शर्म नहीं, शक्ति है। अंग्रेजी जंजीर नहीं, जंजीरें तोड़ने का औजार है।”
उनका आरोप है कि सत्तारूढ़ दल और उससे जुड़े संगठन नहीं चाहते कि गरीब, दलित और वंचित वर्ग अंग्रेज़ी (Rahul Gandhi English Language)सीखें, क्योंकि इससे वे सवाल पूछने और बराबरी के हकदार बनते हैं।
भाषा बनाम अवसर: क्या यह संघर्ष केवल भावनाओं का है?
राहुल गांधी का कहना है कि भारत की सभी भाषाओं में संस्कृति और आत्मा है, लेकिन आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में अंग्रेज़ी शिक्षा रोजगार और आत्मविश्वास की कुंजी है। उन्होंने यह भी कहा कि मातृभाषा को सहेजना जरूरी है, लेकिन हर बच्चे को अंग्रेज़ी सिखाना उतना ही अनिवार्य है, ताकि कोई पीछे न रह जाए।
“जो मना करते हैं, उनके बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं”
राहुल गांधी ने एक वीडियो भी पोस्ट किया, जिसमें वर्तमान सरकार के कई वरिष्ठ नेताओं के बच्चों की विदेशी शिक्षा को उजागर किया गया (Rahul Gandhi English Language)है। उन्होंने सवाल किया कि जब नेता खुद अपने बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिला रहे हैं, तो फिर गरीब वर्ग को क्यों रोका जा रहा है?