राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने 16 मामलों की सुनवाई, 13 मामले खारिज
कोरिया/नवप्रदेश। Public Hearing : राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य नीता विश्वकर्मा एवं अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में आज कलेक्टोरेट परिसर के सभाकक्ष में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई। जिनमें महिला आयोग के समक्ष जिले में महिला उत्पीडऩ से संबंधित 16 प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गए। जिनमें 15 प्रकरणों की सुनवाई हुई जिसमे 13 प्रकरण नस्तीबद्ध किये गये। शेष 3 प्रकरण निगरानी में रखे गए हैं।
मानहानिकारक समाचार प्रकाशित करने के लिए क्षमाप्रार्थी, संपादक के विरुद्ध जारी रहेगा मुकदमा
जनसुनवाई (Public Hearing) के दौरान समाचार पत्र के संपादक और संवाददाता की ओर से शिकायत की गई, जिसमें आवेदक व संवाददाता मौजूद रहे और संपादक अनुपस्थित रहे। आयोग द्वारा पक्षों को विस्तार से सुना गया। आवेदक ने बताया कि संवाददाता ने उनके खिलाफ 100 से अधिक समाचार प्रकाशित किए हैं। जिसका दस्तावेज शिकायत के साथ प्रस्तुत किया गया है। आयोग ने गैर-आवेदक संवाददाता को भी सुना। उन्होंने अपनी पत्रकारिता के तहत समाचार प्रकाशित करने का अधिकार व्यक्त किया।
कोई भी पत्रकार किसी के लिए मानहानि या झूठी खबर नहीं लिख सकता, इसलिए आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए गलत इरादे से लिखी खबर बताया। व्यक्तिगत आपत्ति की खबरों की विस्तृत जांच कराने की चर्चा के दौरान संवाददाता ने आयोग के समक्ष अपनी गलती स्वीकार कर माफी मांगी। आवेदक ने उन्हें माफ करना स्वीकार किया। इस दौरान अनावेदक सम्पादक के उपस्थित नहीं होने पर उनके खिलाफ यह प्रकरण जारी रखा जाएगा। एसा आयोग ने आदेशित किया।
कलह के शिकार बने दंपत्ति रहेंगे निगरानी में
आवेदिका द्वारा व्यक्त किया गया कि वह पति के साथ दाम्पत्य जीवन का निर्वहन करना चाहती है। आयोग द्वारा उभय पक्षों को समझाइश देकर दामपत्य जीवन का निर्वहन किये जाने एवं भविष्य में किसी प्रकार का कोई विवाद न हो।समझाइश दिए जाने पर अनावदेक पत्नी व बच्चों के साथ रहने व खर्च वहन करने को तैयार है। यह पूरा प्रकरण जिला संरक्षण अधिकारी के निगरानी में दिया गया है। पति पत्नी के इस प्रकरण को छ: माह निगरानी करेगी। अनावेदक द्वारा किसी प्रकार से आवेदिका को प्रताडि़त किये जाने की स्थिति में संरक्षण अधिकारी, आयोग की सदस्य नीता विश्वकर्मा को बताकर तत्काल कड़ी कार्यवाही का निर्णय कर सकती है।
महिला समूह ने की कार्यस्थल पर उत्पीड़न की शिकायत
नगरसेना की आवेदिकागणों ने उपस्थित होकर कार्यस्थल पर प्रताडऩा की शिकायत की। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने प्रकरण पर कहा कि यदि सभी ने एक अधिकारी के खिलाफ शिकायत किया है तो गंभीर मुद्दा है। इसकी जांच अति आवश्यक है। इस पूर मामले को कलेक्टर को प्रेषित किया गया व स्थानीय विधायक को उनसे सहमति लेकर किसी महिला अधिकारी की उपस्थिति में प्रकरण पर आवेदिकागणों के कथन दर्ज कराकर अनावेदक के विरूद्ध कार्यवाही प्रारंभ करे और परिणाम की सूचना दो माह के अंदर आयोग को प्रेषित करें। इसके आधार पर इस प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
एक अन्य प्रकरण में भी आवेदिका से कार्यस्थल पर प्रताडऩा की शिकायत प्राप्त हुई थी। आवेदिका ने बताया कि प्रताडऩा के साथ उनका वेतन भी रोका गया है। प्रकरण की जांच हेतु विभागीय कमेटी गठित की गई है। आवेदिका द्वारा जांच कमेटी को बदलने की बात कही गयी। अध्यक्ष डॉ नायक द्वारा आवेदिका की विस्तार से बात सुनी गयी और उन्हें समझाइश दी। सुनवाई के पश्चात आवेदिका ने अपना प्रकरण वापस लेना माना।
संपत्ति विवाद को सुलझाया
इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में आवेदिका को शंका थी कि उनके दादा की पूरी सम्पत्ति विवाद पर उनके दो चाचा ने कब्जा कर लिया है। सुनवाई के दौरान अनावेदकगणों ने दादा द्वारा संपत्ति का दिया गया 1997 का पंजीकृत त्याग पत्र, मूल दस्तावेज एवं फोटो प्रति प्रस्तुत की गई। प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर आवेदिका की शंका दूर की गई और बताया कि आवेदिका और उनका परिवार संपत्ति का एक तिहाई हिस्से का हकदार है। इस जानकारी के साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
महिला आयोग के सुनवाई (Public Hearing) के अवसर पर संसदीय सचिव अम्बिका सिंहदेव सहित पुलिस एवं जिला प्रशासन के अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।