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Psoriasis: सोरायसिस: चमड़ी की बीमारी है, परतों वाले, ऐसे करें उपाए..

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Psoriasis

Psoriasis: यह बार-बार होने वाली दानों से युक्त एक जीर्ण प्रकार की चमड़ी की बीमारी है इसमें चांदी के समान सलेटी रंग की पपड़ी वाले या परतों वाले फोड़े-फुन्सियों के दाने होते हैं।

इस रोग (Psoriasis) का सबसे अधिक प्रभाव शरीर में घुटनों एवं कोहनियों की सतहों पर होता है। आयुर्वेद के अनुसार इस रोग का कारण कुछ भावनात्मक तत्व तथा उसके साथ-साथ रक्त की अशुद्धि है। इन फोड़े-फुन्सियों और दानों में बहुत अधिक खुजली होती है।

अतः रोगी इन्हें खुजलाये बिना नहीं रह सकता, खुजली करने से इन चकत्तों से पपड़ियां बाहर निकलती हैं। इन पपड़ियों के नीचे से चमकीली-सी सफेद चमड़ी बाहर दिखाई देती है। यही इस रोग की विशेषता है। 

सोरायसिस का उपचार

– इस रोग की चिकित्सा में ‘कुष्ठ राक्षस’ (Psoriasis) तेल बहुत अधिकप्रभावकारी है। इस तेल को चकत्तों के ऊपर तथा उसके आस-पास रगड़कर लगाना चाहिए। खासकर जब रोगी खुजली महसूस कर रहा हो। 

– चार ग्राम चिरायता और चार ग्राम कुटकी लेकर शीशे या चीनी के पात्र में 125 ग्राम पानी डालकर रात को उसमें भिगों दें और ऊपर से ढक कर रख दें।

प्रातःकाल का भिगोया हुआ चिरायता और कुटकी का पानी निथारकर कपड़े से छानकर पी लें और उसी समय अगले दिन के लिए उसी पात्र में 125 ग्राम पानी और डाल दें। इस प्रकार चार दिन तक यही चिरायता और कुटकी डालकर भिगो दें और चार-चार दिन के बाद बदलते रहें।

यह पानी (कड़वी चाय) लगातार दो-चार सप्ताह पीने से सोरायसिस (Psoriasis) जैसा कठिन रोग दूर हो जाता है। इस रोगी को गुग्गुल तिक्वल खाने को दिया जाता है। 

-यह भी दिन में दो बार खाली पेट एक छोटे चम्मच की मात्रा में एक कप में मिलाकर देना आरम्भ करना चाहिए। धीर-धीरे यह मात्रा बढ़ाकर छः चम्मच तक करनी चाहिए अथवा यह मात्रा तब तक बढ़ानी चाहिए, जब तक रोगी के शरीर में उचित चिकनाहट के लक्षण दिखायी न देने लगें। 

– इस रोग (Psoriasis) की चिकित्सा के लिए बहुत लाभकारी औषधि ‘चंड मारूट’ है। इस औषधि में अन्य द्रव्यों के साथ-साथ पारा और संखिया मिले होते हैं। इसे प्रायः 70 मिलीग्राम की मात्रा में दिन में दो बार खाली पेट शहद में मिलाकर दिया जाता है। 

-इस रोग में गर्म और मसालेदार पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। रोगी को नमक और दही से भी परहेज रखना चाहिए। सभी प्रकार की कड़वी सब्जियां जैसा–करेला, कड़वी सहिजन और नीम के फूल इस रोग के लिए लाभकारी हैं ।

Note: यह उपाय इंटरनेट के माध्यम से संकलित हैं कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करके ही उपाय करें ।

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