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President Murmu Chhattisgarh Visit : छत्तीसगढ़ में देवस्थलों से जुड़ी योजनाओं का उद्घाटन करेंगी राष्ट्रपति

President Murmu Chhattisgarh Visit

President Murmu Chhattisgarh Visit

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 20 नवंबर को छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर प्रवास (President Murmu Chhattisgarh Visit) पर आ रही हैं। वे भगवान बिरसा मुंडा जयंती पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगी। जानकारी के अनुसार, अपने प्रवास के दौरान वे वैद्यों और देवस्थलों से जुड़ी दो महत्वपूर्ण योजनाओं का उद्घाटन कर सकती हैं। पहली योजना परंपरागत उपचार करने वाले वैद्यों के लिए है।

मुख्यमंत्री वैद्यराज सम्मान निधि के तहत ऐसे वैद्यों को हर साल 5000 रुपये की सहायता विभाग द्वारा डीबीटी के माध्यम से दी जाएगी। इन वैद्यों का चयन तीन स्तरों पर किया जाएगा। कुल 50 वैद्यों को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है, जिनमें से 5–10 वैद्यों को ( Vaidyaraj Scheme Launch ) राष्ट्रपति मंच से सम्मानित करेंगी।

नृत्य महोत्सव के विजेताओं को सम्मान

प्रदेश में पहली बार उत्तर क्षेत्र जनजातीय लोक नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसकी शुरुआत ग्राम स्तर से हुई। जिला स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेताओं को क्रमशः 50, 25 और 15 हजार रुपये की राशि दी गई। अब 19 नवंबर को प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता होगी। इसमें प्रथम विजेता को 2 लाख रुपये राष्ट्रपति के हाथों से प्रदान किए जाएंगे। द्वितीय को एक लाख और तृतीय को 50 हजार रुपये मिलेंगे। ( Tribal Dance Festival ) राष्ट्रपति मंच पर विजेताओं को सम्मानित करेंगी।

दो दिवसीय कार्यक्रम की तैयारी पूरी

19 और 20 नवंबर को अंबिकापुर के पीजी कॉलेज मैदान में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति होगी। वे मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगी और प्रदेश के जनजातीय समुदायों के साथ संवाद स्थापित करेंगी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी शामिल रहेंगे। ( Ambikapur Event Update ) प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।

परंपराओं की समृद्ध झलक पेश करने के निर्देश

राष्ट्रपति प्रवास के दौरान आयोजन में छत्तीसगढ़ की परंपराओं और जनजातीय गौरव को प्रदर्शित किया जाएगा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार मंत्री ने संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को संवेदनशीलता और उत्साह के साथ तैयारियों में जुटने के निर्देश दिए हैं। विशेष रूप से जनजातीय नृत्य, लोककला, संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को आयोजन में प्रमुख स्थान देने पर जोर दिया गया है।

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