मध्य सरकार ने किसानों और निजी भूमि स्वामियों को बड़ी राहत देते हुए उच्च दाब (HT) ट्रांसमिशन लाइन (Power Transmission Compensation) बिछाने और 66 केवी या उससे अधिक क्षमता के बिजली टॉवर स्थापित करने पर दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने गुरुवार को जानकारी देते हुए बताया कि नए निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं।
टॉवर लगाने वाली जमीन का 200% मिलेगा भुगतान
सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब टॉवर स्थापना के लिए उपयोग की गई भूमि के प्रचलित बाजार मूल्य का 200% भूमि स्वामी को दिया जाएगा। यह राशि टॉवर लाइन बिछाने से हुई क्षति वाली राशि से अलग होगी। मुआवजे के निर्धारण हेतु टॉवर के चारों पैरों (लेग) के भीतर की भूमि और प्रत्येक दिशा में एक–एक मीटर अतिरिक्त क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा। क्षतिपूर्ति राशि तय करने का अधिकार संबंधित जिले के कलेक्टर को होगा।
(Power Transmission Compensation) ROW क्षेत्र में 30% क्षतिपूर्ति भी देय
ट्रांसमिशन लाइन के नीचे टॉवर के दोनों किनारों पर स्थित राइट ऑफ वे (ROW) क्षेत्र की भूमि के लिए भी सरकार ने बड़ा लाभ दिया है। अब ROW में आने वाली जमीन के बाजार मूल्य का 30% अतिरिक्त मुआवजा दिया जाएगा।
मार्गाधिकार क्षेत्र में निर्माण पर रोक
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ट्रांसमिशन लाइन के ROW क्षेत्र में किसी भी तरह का निर्माण प्रतिबंधित रहेगा। विशेष परिस्थितियों में निर्माण की अनुमति केवल विद्युत निरीक्षकालय के सक्षम अधिकारी से अनुमोदन प्राप्त होने पर ही दी जा सकेगी।
डिजिटल माध्यम से एकमुश्त भुगतान
भूमि मालिकों को क्षतिपूर्ति राशि डिजिटल भुगतान के रूप में एक बार दी जाएगी। भुगतान प्राप्त होने के बाद भी भूमि का स्वामित्व पूर्ववत भूमि स्वामी के नाम पर ही दर्ज रहेगा। राजस्व रिकॉर्ड में केवल कैफियत कॉलम में संबंधित ट्रांसमिशन टॉवर/लाइन का विवरण दर्ज किया जाएगा। सरकार ने स्पष्ट किया कि यह निर्देश केवल विद्युत पारेषण लाइन (Transmission Line) पर लागू होंगे। उप-पारेषण (Sub-transmission) या वितरण लाइनों (Distribution Lines) पर यह नियम लागू नहीं है। नई व्यवस्था 14 नवंबर 2025 से प्रभावशील है।

