Popular Election Strategist : चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक पखवाड़े तक कांग्रेस हाई कमान को पेजेंटेशन दिया और आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने के लिए रणनीति बनाई। लगभग ६०० पन्ने के उनके प्रजेंटेशन पर गौर करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रशांत किशोर को ही कांग्रेस में शामिल होने का निमंत्रण दिया। जिसे प्रशांक किशोर ने ठुकरा दिया। उन्होने कहा कि कंाग्रेस को उनकी नहीं बल्कि कुशल नेतृत्व और दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है।
जाहिर है प्रशांत किशोर ने अपनी इस टिप्पणी में कांग्रेस पर तंज कसा है। गौरतलब है कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थी क्योंकि प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार रहने के बावजूद पूर्व में जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके है। संभवत: वे कंाग्रेस में ही कोई बड़ा पद चाहते थे लेकिन कांग्रेस में प्रशांत किशोर के नाम को लेकर वरिष्ठ नेताओं में मतभेद गहराने लगा था। जिसकी वजह से कंाग्रेस में उनकी भूमिका को सिमित करने का निर्णय हुआ था। यह बात प्रशांत किशोर को अखर गई और उन्होने कांग्रेस में शामिल होने से इंकार कर दिया। प्रशांत किशोर की नाक के पास अब कांग्रेस को अपनी रणनीति खुद ही बनानी होगी।
कांग्रेस में ऐसे कुशल नेताओं की कोई कमी भी नहीं है। प्रशांत किशोर (Popular Election Strategist) भले ही चुनावी रणनीतिकार हो और वे अच्छे नारे गढ़ सकते हो लेकिन पार्टी को जनता के बीच कैसे ले जाना है और कांग्रेस से दूर हो रहे मतदाताओं को फिर से कांग्रेस की तरफ आकर्षिक करना है यह बात कांग्रेस के अनुभवी नेता ज्यादा बेहतर जानते है। उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लें जो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में छत्तीसढ़ में कांग्रेस को नई उर्जा से भरने में सफल हुए और कांग्रेस में पिछले विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
लगभग तीन साल के अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में भूपेश बघेल ने लगातार कांग्रेस पार्टी को मजबूती दी और हर चुनाव जीतने में सफल हुए। इसी तरह और भी कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता है जो पार्टी को नई दिशा देने में सक्षम है। जी-२३ में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की भी पार्टी को सेवाएं लेनी चाहिए और उनके सुझावों पर गौर करना चाहिए। लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है ऐसे में कांग्रेस पार्टी को अंतर्कलह से निपटते हुए पार्टी को मजबूती देने का काम सर्वोच्च प्राथमिकता से करना होगा और नाराज नेताओं को मनाना होगा। तभी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी चुनौती दे पाएगी।