-पुलिस नहीं, यूपीएससी को करनी चाहिए जांच
-पूजा खेडकर के वकीलों ने दिल्ली की अदालत में गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए बहस की
नई दिल्ली। Pooja Khedkar: लग्जरी कार और उस पर एम्बर लैंप को लेकर विवादों में रहीं ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए अर्जी दी थी। आज से सुनवाई शुरू हो गई है। इसमें यूपीएससी एक अधिकारी के तौर पर कुछ सुरक्षा प्रदान करता है।
इसके मुताबिक खेडकर (Pooja Khedkar) ने गिरफ्तारी का विरोध करते हुए मांग की है कि मेरी जांच पुलिस नहीं बल्कि यूपीएससी करे। उन्होंने 47 फीसदी दिव्यांग होने का एम्स सर्टिफिकेट भी कोर्ट में जमा किया है और दावा किया है कि उनकी भर्ती नियमों के तहत हुई है।
खेडकर की वकील वीणा माधवन ने खेडकर का प्रतिनिधित्व किया है। दावा किया गया है कि पूजा खेडकर को हाई कोर्ट ने तय सीमा से ज्यादा बार परीक्षा देने की इजाजत दी थी। इस पर कोर्ट ने माधवन से कोर्ट का आदेश पेश करने को कहा है। यूपीएससी ने तीन अतिरिक्त प्रयास करने के लिए खेडकर के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डीके जांगला ने कहा कि आप कहते हैं कि उच्च न्यायालय ने आपको ऐसा करने की अनुमति दी है, इसे प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस पर यूपीएससी के वकीलों ने कहा कि हाई कोर्ट का ऐसा कोई फैसला नहीं था कि खेडकर यह अतिरिक्त परीक्षा देने के पात्र हैं।
मेडिकल बोर्ड ने कहा है कि पूजा खेडकर (Pooja Khedkar) बहुविकलांगता वाली अभ्यर्थी हैं। उसके पास स्थायी बेंचमार्क विकलांगता है। उसके पूरे शरीर में 47 प्रतिशत विकलांगता है। खेडकर के वकीलों ने दलील दी कि सर्टिफिकेट एम्स ने दिया था तो इसे धोखाधड़ी कैसे कहा जा सकता है। यूपीएससी ने दोषी शब्द का इस्तेमाल किया है।
हमें सिर्फ नोटिस मिला है। यूपीएससी को आपराधिक मामला दर्ज करने की इतनी जल्दी क्यों थी? मुझे अपना पक्ष रखने का पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए था। खेडकर के वकीलों ने तर्क दिया कि आपराधिक मुकदमे और गिरफ्तारी के डर से वह अपना मामला पेश नहीं कर सके। वकील ने अदालत से कहा मैं अपना पक्ष रखने के लिए गिरफ्तारी से पहले जमानत चाहती हूं।
खेडकर के वकीलों ने भी गंभीर आरोप लगाया है कि खेडकर (Pooja Khedkar) ने यौन उत्पीडऩ की शिकायत दर्ज कराई है और इसीलिए उनके खिलाफ ये सब किया जा रहा है। खेडकर ने कहा मुझे सिस्टम और अदालतों पर भरोसा है। खेडकर ने कोर्ट में यह भी मांग की है कि पुलिस तभी जांच करे जब यूपीएससी दोषी ठहराए।