रायपुर/नवप्रदेश। महाराष्ट्र और बिहार के बाद अब झारखंड में भी राजनीतिक संकट जारी है। हेमंत सोरेन की सीएम की कुर्सी खतरे में दिख रही है। इस बीच महागठबंधन अपने विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग (खरीद-फ रोख्त) से बचाने के लिए हर संभव प्रयास (Political Crisis In Jharkhand) कर रहा है।
विधायकों को एकजुट करके रखने के लिए अब उनको रांची से छत्तीसगढ़ लाया गया है। मंगलवार को देर शाम चार्टर प्लेन से करीब साढ़े 5 बजे रायपुर एयरपोर्ट पहुंचे। इसके बाद झारखंड के विधायकों को तीन बसों में सीधे रिसॉर्ट में ले जाया गया। इस दौरान एयरपोर्ट में भारी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गए थे।
विधायक को लेने के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई पदाधिकारी पहुंचे हुए थे। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की एक मजबूत सरकार है और झारखंड में गठबंधन की सरकार है। इसलिए विधायकों के लिए छत्तीसगढ़ सबसे सुरक्षित (Political Crisis In Jharkhand) राज्य है। इसलिए विधायकों को यहां लाया गया है।
यह है झारखंड की राजनीतिक स्थिति : झारखंड विधानसभा में 81 विधायक हैं। इनमें से यूपीए गठबंधन के पास 50 विधायकों का समर्थन है। भाजपा गठबंधन के पास कुल मिलाकर 30 विधायक हैं।
ऐसे में विधायकों के एकजुट रहते सत्ता परिवर्तन की गुंजाइश नहीं बन (Political Crisis In Jharkhand) रही है। हेमंत सोरेन अब अपने 10 मंत्रियों के साथ राजधानी में रहेंगे। वहीं 39 विधायक कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में कुछ दिन रहने वाले हैं।
सीएम समेत मंत्री रांची में ही रहेंगे : बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी कैबिनेट के मंत्री रांची में ही रहने वाले हैं। केवल विधायकों को रायपुर भेजा गया है। मुख्यमंत्री ने एक सितम्बर को राज्य मंत्रिमंडल की भी बैठक बुलाई है। उसके बाद आगे की दिशा तय होगी।
इसलिए ये स्थिति हुई उत्पन्न : चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को लाभ के पद के मामले में दोषी पाया है। अभी इस पर आखिरी फैसला राज भवन यानी राज्यपाल रमेश बैस को लेना है, लेकिन उनकी तरफ से अभी कोई कदम नहीं उठाया गया है।
इस बीच सोरेन सरकार अपनी कुर्सी बचाने में जुटी है। यूपीए गठबंधन को आशंका है कि भाजपा उनके विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग के जरिए तोडऩे की कोशिश कर रही है। इसकी वजह से सभी विधायकों को एक साथ रखने की कोशिश की जा रही है।