POCSO Act Clarification : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी किशोरी को देखकर सिर्फ “I Love You” कहने की घटना को तब तक यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता, जब तक उसमें यौन उद्देश्य की पुष्टि न हो। न्यायालय ने POCSO और SC/ST एक्ट के अंतर्गत दर्ज मामले में आरोपी युवक को बरी करते हुए इस बात को विशेष रूप से रेखांकित किया कि इरादा ही अपराध को परिभाषित करता है, न कि शब्द मात्र।
क्या था मामला?
यह केस धमतरी ज़िले के कुरूद थाना क्षेत्र से जुड़ा है, जहां एक 15 वर्षीय छात्रा ने आरोप लगाया था कि एक युवक स्कूल से लौटते समय उसे देखकर “I Love You” कहता था और पहले से उसे परेशान करता रहा है। पुलिस ने मामला दर्ज कर IPC की धारा 354D, 509, POCSO एक्ट की धारा 8 और SC/ST एक्ट की धारा 3(2)(V-A) में कार्रवाई की थी।
हाई कोर्ट की दो टूक टिप्पणी
हाई कोर्ट के जस्टिस संजय एस. अग्रवाल की एकलपीठ ने कहा- “आरोपित द्वारा सिर्फ ‘आई लव यू’ कहना यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता, जब तक कि वह व्यवहार यौन इरादे से प्रेरित सिद्ध न हो।”
अदालत(POCSO Act Clarification) ने यह भी पाया कि पीड़िता की उम्र प्रमाणित करने के लिए भी कोई विश्वसनीय दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए और गवाही में यौन उद्देश्य की पुष्टि नहीं होती। ऐसे में अभियोजन की विवेचना को कमजोर मानते हुए आरोपी को दोषमुक्त करार दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला
न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय(POCSO Act Clarification) के फैसलों का हवाला देते हुए दोहराया कि “शारीरिक संपर्क या टिप्पणी मात्र से अपराध सिद्ध नहीं होता, जब तक कि उसमें यौन मंशा न हो।”
यह फैसला न्यायिक संतुलन की मिसाल पेश करता है, जहां न तो वास्तविक पीड़ितों के अधिकारों की अनदेखी की गई है, और न ही गलत आरोपों के आधार पर किसी निर्दोष को सज़ा देने की जल्दबाज़ी की गई है।