सौदा होता है तो जेट इंजन बनाने वाला भारत एशिया का एकमात्र देश होगा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे ने सबका ध्यान खींचा है। प्रधानमंत्री मोदी पहले भी कई बार अमेरिका का दौरा कर चुके हैं, लेकिन रक्षा क्षेत्र के लिए इस साल का दौरा काफी अहम है। इस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका फाइटर जेट इंजन को लेकर बड़ी डील करने जा रहे हैं। अगर डील हो जाती है तो भारत जेट फाइटर इंजन बनाने वाला दुनिया का पांचवां देश बन जाएगा। अभी तक केवल अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस ही मैदान में हैं। यहां तक टेक्नोलॉजी के लिए दिग्गज माने जाने वाला चीन भी खुद जेट इंजन नहीं बनाता।
इस समझौते के जरिए मोदी सरकार भी अपने आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करना चाहती है। यदि सौदा हो जाता है, तो जेट इंजन बनाने वाला भारत एशिया का एकमात्र देश होगा। इस समझौते को लेकर भारत लंबे समय से अमेरिका के साथ बातचीत कर रहा है। अब माना जा रहा है कि पीएम मोदी के दौरे के दौरान इस पर मुहर लग सकती है.
भारत के लिए क्यों अहम है यह समझौता?
अभी तक अमेरिका किसी के साथ डिफेंस टेक्नोलॉजी शेयर करने से पहले सौ बार सोचता था। यहां तक अमेरिका ने भी अपने सहयोगी देशों के साथ रक्षा तकनीक साझा नहीं की है। लेकिन भारत अमेरिका के साथ जेट इंजन बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर जोर दे रहा है। इस संबंध में फरवरी में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिकी जैक सुलिवन के बीच चर्चा भी हो चुकी है। अब अगले हफ्ते अमेरिका के रक्षा मंत्री भारत आ रहे हैं। दोनों देशों के इस समझौते पर चर्चा करने की संभावना है।
अमेरिकी दौरे पर हो सकता है बड़ा ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने की 21 से 24 तारीख तक अमेरिका के दौरे पर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री मोदी को आने का न्योता दिया था। अब इस दौरे पर किसी डील पर बात हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक इस डील के लिए भारत और अमेरिका की कंपनियों को भी शॉर्टलिस्ट किया गया है। भारत पक्ष का नेतृत्व राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड करेगी, जबकि अमेरिका की ओर से जनरल इलेक्ट्रिक होगी। दोनों कंपनियों के बीच साझेदारी के तहत दोनों कंपनियां संयुक्त रूप से घरेलू स्तर पर फाइटर जेट इंजन का निर्माण करेंगी।
डिफेंस मेगाडेल से क्या प्राप्त करें
इसे भारत और अमेरिका के बीच अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा माना जा रहा है। इस समझौते के बाद दोनों देशों के रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिलेंगे। इस समझौते के बाद जहां एक ओर भारत स्वदेशी लड़ाकू इंजन का निर्माण कर सकेगा, वहीं दूसरी ओर भविष्य में बड़े जलयानों के इंजन भी देश में निर्मित किए जा सकेंगे। रुसो-यूक्रेन युद्ध ने भारत के साथ-साथ बाकी दुनिया को भी आत्मनिर्भरता के महत्व के बारे में एक सबक सिखाया। भारत को हथियारों के लिए सिर्फ रूस पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी।