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प्लास्टिक फैक्ट्रियां बेलगाम: गार्बेज बैग की आड़ में बैन प्रोडक्ट का प्रोडक्शन..

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polyethylene plastic bag

polyethylene plastic bag: प्रतिबंधित पॉलीथिन बैग में सरकारी आदेश बंद!

नवप्रदेश संवादाता
रायपुर। छत्तीसगढ़ में साल 2016 से हैंडल और नॉन हैंडल पॉलीथिन (polyethylene plastic bag) को बैन कर दिया गया है। प्रतिबंध के बाद राजधानी रायपुर समेत पूरे प्रदेश में दर्जनों पॉलीथिन हैंडल व डिस्पोजल निर्माण करने वाली फैक्ट्रियां बंद हो गईं।

लेकिन, सत्ता बदलते ही एक बार फिर सरकारी प्रतिबंध के आदेश को प्रतिबंधित पॉलीथिन में ही बांधकर फैक्ट्री मालिकों ने फेंक दिया है। एक बार फिर से शहर की गलियों और दुकानों में प्रतिबंधित पॉलीथिन (polyethylene plastic bag) के अलावा डिस्पोजल की भरमार है। प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रो के साथ साथ रिहायशी इलाको में प्लांट संचालित हो रहा है।

राजधानी के आमानाका इलाके में संचालित खंडेलवाल प्लास्टिक फैक्ट्री में फारेस्ट बैग और गार्बेज बैग की आड़ में कंपनी द्वारा प्रतिबंधित पॉलीथिन (polyethylene plastic bag) का निर्माण निर्माण किया जा रहा है। फ़ैक्ट्री में गार्बेज बैग, फॉरेस्ट बैग, पोषण आहार की पैकेजिंग पॉलीथिनसहित प्रतिबंधित पॉलीथिन का निर्माण बड़े पैमाने पर जारी है।

अकेले इस कारखाने में दर्जनों मजदुर और महिलाओ को प्लास्टिक का निर्माण और उसकी पैकेजिंग कर रही हैं। मजे की बात यह कि खुलेआम चल रही इस फैक्ट्री के अलावा संचालक की खुद गोलबाजार में अपने इसी प्रतिबंधित प्रोडक्ट बेचने की थोक दुकानें हैं। जहां से प्रदेशभर में अब धड़ल्ले से बैन प्लास्टिक प्रोडक्ट की आपूर्ति की जा रही है।

कार्रवाई में जीरो, बताते हैं नहीं है अनुमति

प्रतिबंधित पॉलीथिन का निर्माण को लेकर पर्यावरण सरंक्षण मंडल अधिकारियो ने कहा कि खंडेलवाल प्लास्टिक इंडस्ट्रीज को पॉलीथिन (polyethylene plastic bag) निर्माण का अनुमति नहीं है। ऐसे में स्पष्ट है कि नियमो को दरकिनार करते हुए कारोबारी द्वारा प्लास्टिक और पॉलीथिन का निर्माण किया जा रहा है। जानकारीनुसार कारोबारी खंडेलवाल का गोलबाज़ार में दुकान भी है जहा से व्यापारियों को प्लास्टिक और पॉलीथिन सामग्री की आपूर्ति की जाती है।

2016 में हुआ बैन, 2019 में नया नियम

राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में देश में बढ़ते प्रदुषण को देखते हुए हैंडल और नान हैंडल पॉलीथिन को बैन कर दिया था। सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बाद दर्जनों फैक्ट्रिया बंद हो गई तो कुछेक ने अपने काम बदल दिया। जारी नियमानुसार 51 माइक्रोकॉन से कम की सभी तरह की पॉलथिन हैंडल और नान हैंडल पॉलथिन को प्रतिबंधित किया गया था।

सरकार ने ग्रीन ट्रिब्यून के दिशा निर्देशों के बाद के साल 2019 में नया नियम बनाया जिसमे प्लाटिक, सभी प्रकार के पॉलीथिन, डिस्पोजल, प्लास्टिक कप, चम्मच और फ्लेक्स को बैन किया गया था। उसके बाद भी प्रदेश में बड़े पैमाने पर पॉलथिन, डिस्पोजल ग्लास, प्लास्टिक कप का उपयोग किया जा रहा है।

प्रतिबंधित पॉलीथिन के उत्पादन और विक्रय पर पर्यावरण सरंक्षण मंडल का कहना है कि खंडेलवाल प्लास्टिक फैक्ट्री प्रतिबंधित पॉलीथिन के उत्पादन की जानकारी मिली है, टीम भेज कर जाँच कराई जाएगी। एसके उपाध्याय, क्षेत्रीय प्रबंधक


प्रतिबंधित पॉलीथिन का निर्माण नहीं किया जाता, अगर ऐसा है तो कुरकुरे और दूध की पॉलीथिन भी बंद हो जाती। नितेश खंडेलवाल, फैक्ट्री संचालक

Documentary focused on Chhattisgarh Legislative Assembly 2020 (ENGLISH)

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