भिलाई, नवप्रदेश। कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता,एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो,कवि दुष्यंत की ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं भिलाई के बालूराम वर्मा पर जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण की अपनी जिद (Planting In Bhilai) को जुनून बना लिया।
बालूराम वर्मा भिलाई इस्पात संयंत्र में कर्मचारी थे। अब रिटायर हो चुके हैं। उनमें पर्यावरण संरक्षण को लेकर गजब का जुनून है। सन 1983 से हर साल अपनी तनख्वाह का दस प्रतिशत हिस्सा पर्यावरण (Planting In Bhilai) के लिए खर्च करते आए हैं।
हर साल एक हजार पौधे लगाकर उन्हें सुरक्षित व संरक्षित करते रहे हैं। उनके द्वारा लगाए गए पौधे अब बड़े बड़े वृक्ष बन गए हैं। बालूराम ने खुद की नर्सरी भी बना रखी है। जिसमें 25 हजार पौधे हैं। सन् 2006-07 में उन्होंने अपने पैसे से टाउनशिप के पूरे सेक्टरों से कचरा (Planting In Bhilai) उठाने के लिए 22 रिक्शे खरीदे थे।
इसके लिए कर्मचारी नियुक्त किए थे, जो डोर टू डोर कचरा संग्रहण कर बीएसपी के बताए जगह पर डंप करते थे। उन्होंने लोगों से अपील की थी कि कचरा उठाने वाले इन कर्मचारियों को हर कोई पांच दस रुपये महीने का दें।
बालूराम पौधा लगाने के बाद अपनी कार, मोटर साइकिल में ढोकर बाल्टी- बाल्टी पानी लाकर इन्हें पौधों में डालते थे, पर्यावरण के प्रति इनका लगन देखकर बीएसपी ने इन्हें डेढ़ लाख रुपये मूल्य की बैटरी चलित तीन पहिया गाड़ी दी है।
बालूराम वर्मा ने सेक्टर -1 से लेकर सेक्टर -9 तक पौधे लगाए थे। जो अब बड़े-बड़े वृक्ष बन चुके हैं। बालूराम मूलतः रायपुर जिला स्थित बुढ़गहन के रहने वाले हैं। छत्तीसगढ़ कालेज रायपुर से बीकाम करने के बाद 1983 में उनकी नौकरी भिलाई इस्पात संयंत्र में लग गई। बालूराम बताते हैं कि उस वक्त भिलाई में लाल लाल धूल उड़ा करता था।
तब से उन्होंने ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने का संकल्प लिया, और इसे अपनी जिंदगी का ध्येय बना लिया। बालूराम सेक्टर-1 से सेक्टर -9 तक नीम, बरगद, पीपल के 25 से 30 हजार पौधे लगा चुके हैं। हर साल वे एक हजार पौधे लगाते हैं, इसे सुरक्षित व संरक्षित करते हैं। बालूराम अपने तनख्वाह का दस प्रतिशत पर्यावरण संरक्षण के काम में लगाते आए हैं।
पौधे खरीदने से लेकर, ट्री गार्ड, पौधों की देखरेख व पानी देने के लिए कर्मचारी नियुक्त करना आदि कार्य वे स्वयं के पैसे से करते आए हैं। संयंत्र ने उन्हें सेक्टर सात रशियन ब्लाक में एक क्वाटर भी अलार्ट कर दिया है।
जहां उन्होंने नर्सरी बना रखी है। नर्सरी मे विभिन्ना किस्म के 25 हजार पौधे हैं। जिन्हें उनके द्वारा मुफ्त में दिया जाता है। भारत सरकार ने 2015 में स्वच्छता मिशन शुरू किया,पर बालूराम यह अभियान 2006-07 में चला चुके हैं। उन्होंने अपने खर्च से भिलाई के सभी सेक्टरों के लिए 22 रिक्शा खरीदा था।
एक रिक्शे की कीमत सात हजार रुपये थी। उन्होंने हर सेक्टर में दो -दो रिक्शे लगाकर इससे डोर टू डोर कचरा संग्रहण करवाकर बीएसपी के बताए जगह पर डंप करवाते थे। रिक्शा चालकों को पैसे देने के लिए उन्होंने लोगों से अपील की थी कि आप अपनी इच्छा अनुसार इन्हें कुछ रकम दे दिया करें।
बालूराम वर्मा पर्यावरण मित्र मंडल नाम से संस्था भी बना रखी है। बालूराम सहित संस्था के सभी सदस्य अपने निजी वाहनों से पानी ढोकर पौधों में डालते थे, संयंत्र प्रबंधन ने पर्यावरण के प्रति उनकी लगन को देखते हुए डेढ़ लाख रुपये लागत की एक बैटरी चलित गाड़ी दी है। संस्था के सदस्य अब इसी वाहन से पानी ढोते हैं।
बालूराम बताते हैं कि भिलाई का प्रदूषण देखकर हर साल एक हजार पौधे रोपने का संकल्प लिया था। जो आज तक चल रहा है। जब तक सांस चलेगी आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ पर्यावरण देने के लिए प्रयास करता रहूंगा।