नयी दिल्ली । सरकार ने आज कहा कि अमेरिका द्वारा व्यापार की सामान्य प्राथमिकता प्रणाली (जीएसपी) के लाभार्थी के रूप में भारत को हटाना दरअसल भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत होने की मान्यता है जाे हमारे लिए गर्व का विषय है और इससे देश के व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने लाेकसभा में अमेरिकी प्रशासन के 31 मई के निर्णय के बारे में पूछे गये सवालों के जवाब में यह बात कही। श्री गोयल ने एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि अमेरिका द्वारा जीएसपी के लाभार्थी के रूप में भारत की मान्यता को वापस लिये जाने से देश के व्यापारिक परिदृश्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जीएसपी की प्रणाली करीब 45 वर्ष पहले 1975 में शुरू हुई थी जब अमेरिकी प्रशासन ने विकासशील देशों के व्यापार को सहायता देने के लिए एकतरफा प्राथमिकता देने की पहल की थी। यह पहल किसी एक देश के लिए नहीं बल्कि सभी विकासशील देशों के लिए थी।
श्री गोयल ने कहा कि भारत का अमेरिका को निर्यात 50 अरब डॉलर से अधिक का है जो भारतीय मुद्रा में करीब चार लाख करोड़ रुपए से कुछ ज्यादा है। इसमें से केवल चार प्रतिशत का हिस्सा ही जीएसपी के निर्णय से प्रभावित होगा जो नगण्य है और भारत पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भारतीय उद्योग अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबले के लिए सक्षम हो गये हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका की यह सुविधा विकासशील एवं अल्पविकसित देशों के लिए थी। अगर उसने भारत को इस प्रणाली से बाहर किया है तो इसका मतलब यह है कि अमेरिका हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में देख रहा है। जब हमें इसका सीधा कोई नुकसान ही नहीं है और हमारी साख की मजबूती का प्रमाण है तो यह हम सबके लिए गर्व की बात है।
श्री गोयल ने कहा कि भारत एवं अमेरिका के संबंध अत्यंत प्रगाढ़ हैं। भारत और अमेरिका अपने रणनीतिक साझेदारी पर व्यापार मुद्दों को हावी नहीं होने देंगे। अमेरिका के साथ भारत के बहुस्तरीय संवाद की व्यवस्था है। आने वाले समय में दोनों देशों के कूटनीतिक एवं व्यापारिक रिश्ते और मजबूत होते जाएंगे।