नई दिल्ली, नवप्रदेश। रूस-यूक्रेन के युद्ध के कारण अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता आई है। इससे इंधनों के दाम कभी बढ़ रहे हैं तो कभी कम हो रहे (Petrol-Diesel Prise) हैं।
\ऐसे में एक खबर ओपेक देशों के बीच से भी आई है। उन्होंने तेल उत्पादन को लेकर बड़ा फैसला लिया है, जिसका असर कई देशों पर पड़ेगा।
रूस के खिलाफ नए पश्चिमी प्रतिबंधों के असर को लेकर अनिश्चितता के बीच सऊदी के नेतृत्व वाले ओपेक और अन्य संबद्ध तेल उत्पादकों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए तेल आपूर्ति के अपने लक्ष्य को नहीं बदला है।
इन देशों में रूस भी शामिल (Petrol-Diesel Prise) है। ओपेक और अन्य संबद्ध देशों के पेट्रोलियम मंत्रियों की रविवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया है।
यह फैसला ऐसे वक्त में किया गया है कि जब सोमवार से रूस के तेल पर मू्ल्य सीमा लागू होने जा रही है। ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, अमेरिका और 27 देशों के यूरोपीय संघ ने शुक्रवार को रूसी तेल के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा तय की (Petrol-Diesel Prise) थी।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के कार्यालय ने पश्चिमी देशों द्वारा रूसी तेल की कीमत और कम करने की मांग की है, जबकि रूसी अधिकारियों ने 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा को मुक्त और स्थिर बाजार के लिए हानिकारक बताया है।