गरियाबंद/नवप्रदेश। सरकारी कागजों में विकास के दावे से ईतर एक ग्रामीण परिवार की दयनीय हालत सुन शायद आपका मन दुखी हो जाये। हालात एक ऐसे वर्ग परिवार की है जिनके विकास और उत्थान के नाम पर शासन स्तर पर अनेक योजनाएं संचालित की जाती (Pathetic Condition Of Bhunjia Family) है।
लाखों करोड़ों रुपये का आबंटन, एक अलग विभाग और एक प्राधिकरण का गठन। इसके बाद भी राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले भुंजिया समुदाय की स्थिति आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। गरियाबंद जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर ग्राम पंचायत कोपेकसा के आश्रित गांव सुखरी डबरी में पिछले बीस वर्षों से एक युवक रस्सी में बंधी जिंदगी जी रहा है। महेश नेताम के परिजनों ने बताया कि पिछले कई वर्षों से उसकी मानसिक स्थिति अच्छी नहीं है।
उसे कोठार (घर के पीछे बाड़ी) में जानवरों की भांति रस्सी से बांधकर रखना परिवार की मजबूरी है। सिर्फ लंगोट पहने महेश दिनभर रस्सी से बंधा झोपड़ी में सर्दी-गर्मी व बरसात गुजारता है। उसे शौच और मूत्र त्याग का भी गुमान नहीं है। बताते हैं कि उसे यदि खुला छोड़ दिया जाये तो कही भी निकल जाता है।
महेश की स्थिति इतनी दयनीय है कि उसे आग पानी की तासीर का भी ज्ञान नहीं है। कुछ वर्ष पहले आग में बुरी तरह झुलस चुका है। आग में जलने की वजह से उसका एक हाथ ठीक से काम नहीं कर (Pathetic Condition Of Bhunjia Family) रहा। चाचा कल्याण नेताम बताते हैं कि बचपन के कुछ वर्षों तक वो एक सामान्य बच्चे की तरह ही था।
किंतु फि र उसके शरीर में झटके आने लगे और उसकी मानसिक स्थिति खराब हो गई। अब बोल भी नहीं पाता। पिता की मौत वर्षो पहले हो चुकी है। माता अघनी बाई किसी तरह वनोपज एकत्रित कर उसका और अपना पेट पालती हैं। अन्य भाई बहन भी गरीबी में ही गुजर बसर करते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार महेश का कभी ठीक ढंग से उपचार नहीं हुआ। गरीबी और जनप्रतिनिधियों सहित प्रशासनिक उपेक्षा इसका सबसे बड़ा कारण है। दूसरा कारण महेश की देखभाल और उसे संभालना है, जो काफी कठिन है, जिसके लिये कोई तैयार नहीं है। मां के पास जिला मुख्यालय तक पहुंचने के ना पैसे है ना साधन है और ना ही शक्ति (Pathetic Condition Of Bhunjia Family) है।
अब करूंगा प्रयास : महेश को लेकर की गई चर्चा में भुंजिया विकास अभिकरण के अध्यक्ष ग्वाल सिंह सोरी का कहना है कि मैंने उसके इलाज के लिये पूर्व सहायक आयुक्त आदिवासी विकास तथा कलेक्टर से मौखिक चर्चा व अनुरोध किया था, किन्तु समस्या हल नहीं हुई।
बता दें कि जिले में पदस्थ पूर्व सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को कुछ समय पहले किन्ही कारणों से सस्पेंड कर दिया गया है। उनके स्थान पर पदस्थ डिप्टी कलेक्टर अनुपम आशीष टोप्पो वर्तमान में प्रभारी अधिकारी है।
ग्वाल सिंह के अनुसार उन्हें आदिवासी विकास विभाग के कार्यो का ना समुचित ज्ञान है और ना ही किसी प्रकार की अभिरुचि। ग्वाल सिंह ने ये भी कहा कि वें शीघ्र ही कलेक्टर को इस मामले में एक पत्र प्रेषित करेंगे।
परिवार गरीब व अशक्त : पूर्व सरपंच यशवंत सौरी ने बताया कि इस परिवार को काफ ी समय पहले आवास योजना की सुविधा दी गई थी, इसके अलावा सौर योजना के तहत खेत में बोर भी करवाया गया था, किन्तु परिवार इतना गरीब और अशक्त है कि अब उनसे खेती का काम भी नही हो पा रहा है।
वर्तमान प्रभारी सहायक आयुक्त अनुपम आशीष टोप्पो ने मोबाइल पर हुई चर्चा में कहा कि मैं पहले मामले की जानकारी ले लेता हूँ फि र इस विषय पर आपसे चर्चा होगी।
वहीं जिला अस्पताल के मेडिकल ऑफि सर व सर्जन डॉ हरीश चौहान ने कहा कि महेश का निशुल्क इलाज हो सकता है। प्राम्भिक जांच के बाद उसे बिलासपुर स्थित मेन्टल हॉस्पिटल में एडमिट किया जा सकता है। उम्मीद है इलाज से उसकी स्थिति में सुधार आ सकेगा।
जिले में राष्ट्रपति दत्तक पुत्रों की स्थिति : जानकारी के अनुसार राज्य शासन द्वारा आदिवासी विकास विभाग अंतर्गत गरियाबंद जिले में 1 जिला कार्यालय, 1 एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना कार्यालय, कमार एवं भुंजिया विकास अभिकरण गरियाबंद तथा 3 आदिवासी विकासखण्ड गरियाबंद, मैनपुर, छुरा स्थापित है।
परियोजना क्षेत्र अंतर्गत अनुसूचित जनजाति वर्ग के कुल पुरुष जनसंख्या 85118, महिला जनसंख्या 88859 इस प्रकार कुल जनसंख्या 173977 है। इसी प्रकार परियोजना क्षेत्र में कुल 3350 कमार परिवार निवासरत है, जिनकी कुल जनसंख्या 14285 एवं कुल 1606 भुंजिया परिवार निवासरत है, जिनकी कुल जनसंख्या 7199 है।