गुजरात में प्रेम विवाह को लेकर बड़ा कानूनी बदलाव होने जा रहा है। राज्य सरकार ऐसे अध्यादेश की तैयारी में है, जिसके तहत विवाह से पहले लड़की के माता-पिता की स्वीकृति आवश्यक (Parental Consent Marriage India) होगी। उप मुख्यमंत्री हर्ष संघवी की अध्यक्षता में हुई हालिया बैठक के बाद इस प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की अगली बैठक में लाए जाने की संभावना जताई जा रही है। यदि इसे मंजूरी मिलती है, तो यह देश के विवाह कानूनों में एक अहम और बहस छेड़ने वाला कदम माना जाएगा।
इस प्रस्ताव को लेकर सत्तारूढ़ दल और विपक्ष, दोनों ही एक सुर में नजर आ रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस नेताओं ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि ऐसा कानून बनाया जाना चाहिए, जिससे परिवारों को मानसिक और सामाजिक परेशानी न झेलनी पड़े। उनका तर्क है कि कई मामलों में प्रेम विवाह के नाम पर परिवारों को जानकारी तक नहीं होती और बाद में विवाद, शिकायतें और सामाजिक तनाव सामने आते हैं।
सामाजिक दबाव और लंबे समय से उठती मांग
गुजरात में खासकर पाटीदार समाज के प्रतिनिधि लंबे समय से प्रेम विवाह में माता-पिता की भूमिका को कानूनी मान्यता देने की मांग (Parental Consent Marriage India) कर रहे हैं। समाज के नेताओं का कहना है कि किशोरावस्था या कम उम्र में भावनात्मक फैसलों के कारण कई बार लड़कियां घर से भागकर विवाह कर लेती हैं, जिसका खामियाजा बाद में उन्हें और उनके परिवार को भुगतना पड़ता है।
पाटीदार समाज से जुड़े नेताओं ने हाल ही में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सुझाव दिया था कि प्रेम विवाह के मामलों में लड़की के आधार कार्ड में दर्ज पते पर माता-पिता को नोटिस भेजा जाए और एक माह की अवधि में उनकी राय ली जाए। उनका मानना है कि इससे जल्दबाजी में होने वाले विवाह और संभावित शोषण के मामलों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
गुप्त शादियों का नेटवर्क भी आया था सामने
कुछ समय पहले उत्तर और मध्य गुजरात में ऐसे मंदिरों का खुलासा हुआ था, जिनका पता सैकड़ों विवाह पंजीकरण दस्तावेजों में दर्ज (Parental Consent Marriage India) पाया गया। जांच में सामने आया था कि कई मंदिरों का अस्तित्व केवल कागजों में था। गोधरा क्षेत्र के एक मंदिर का पता सौ से अधिक विवाहों में इस्तेमाल किया गया। बाद में ग्रामीणों और स्थानीय प्रतिनिधियों से पूछताछ में पता चला कि इस तरह की शादियों के पीछे पटवारी और पंडितों का संगठित गिरोह सक्रिय था।
इन्हीं घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने प्रेम विवाह से जुड़े मामलों की निगरानी और प्रक्रिया को नियंत्रित करने पर विचार शुरू किया। उप मुख्यमंत्री हर्ष संघवी ने कानून मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की है। बताया जा रहा है कि बुधवार को होने वाली मंत्रिमंडल बैठक में इससे संबंधित अध्यादेश का मसौदा पेश किया जा सकता है।

