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Paddy: सरकार ने वनभूमि का पट्टा दिया और धान बेचने की सुविधा भी दी : देवसाय

Paddy, The government has given a lease, of forest land and also has the facility, to sell paddy Devasay,

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Paddy: नजदीकी गांव में ही धान बेचने की सुविधा से खुश हैं भैंसासूर क्षेत्र के किसान

उत्तर बस्तर कांकेर। Paddy: समर्थन मूल्य पर पहली बार धान बेचने वाला ग्राम कन्दाड़ी का किसान देवसाय बेहद खुश है। उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल की सरकार ने मुझे वनभूमि का पट्टा दिया है, जिसमें धान की फसल ली और उसे बेचने के लिए कोयलीबेड़ा सहकारी समिति में पंजीयन कराया।

वनभूमि का पट्टा नहीं मिलने से पहले मैं अपने धान (Paddy) को कोचियों के पास औने-पौने दाम में बेच देता था, जिससे मुझे नुकसान उठाना पड़ता था। सरकार द्वारा वनभूमि का पट्टा दिये जाने से धान बेचने के लिए समिति में मेरा पंजीयन किया गया और धान खरीदी शुरू होने के दूसरे ही दिन मैं अपने 145 बोरा धान को 25 सौ रूपये प्रति क्विंटल की दर से 01 लाख 45 हजार रूपये में बेचा हॅू।

मैं इस व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार को धन्यवाद देता हॅू। उनकी सरकार ने मेरे धान को समर्थन मूल्य पर खरीदकर मुझे लाभान्वित किया है।

उल्लेखनीय है कि धुर नक्सली प्रभावित कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के गांव ‘कन्दाड़ी’ के किसान देवसाय पिता बैसाखू को मेड़की नदी के किनारे ऑरेंज-19 में 10 एकड़ जमीन का वन पट्टा (वन अधिकार मान्यता पत्र) दिया गया है, जिसमें वे अपने परिवार के साथ खेती-किसानी कर रहे हैं।

कृषक देवसाय ने बताया कि वन अधिकार मान्यता पत्र से प्राप्त 10 एकड़ जमीन में से उनके द्वारा 04 एकड़ में धान फसल, 03 एकड़ में मक्का तथा  03 एकड़ में उड़द, कुल्थी इत्यादि की फसल ली गई थी, वर्तमान में भी लगभग 02 एकड़ जमीन में मक्का की फसल ली गई है।

    गौरतलब है कि कोयलीबेड़ा सहकारी समिति में 174 वन पट्टाधारी किसानों का पंजीयन किया गया है, जिन्हें समर्थन मूल्य पर धान (Paddy) बेचने का मौका मिलेगा। वनभूमि में वर्षों से काबिज इन किसानों को पट्टा नहीं मिलने से समर्थन मूल्य पर धान बेचने से वंचित हो जाते थे और उन्हें अपनी गाढ़ी कमाई के धान को कोचियों के पास औने-पौने दाम में बेचना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

कोयलीबेड़ा सहकारी समिति में इस वर्ष 14 ग्राम पंचायत के 41 गांवों के 1274 किसानों का पंजीयन किया गया है तथा उन्हें खेती किसानी के लिए खाद, बीज और नकद राशि भी उपलब्ध कराई गई है।

पंजीयन किसानों में 174 वन पट्टाधारी किसान भी शामिल हैं। इन पट्टाधारी किसानों में से 134 किसानों को सहकारी समिति के द्वारा खाद, बीज और नकद राशि शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराया गया है।

धान खरीदी व्यवस्था से खुश है किसान स्वरूप ऑचला

    धान खरीदी केन्द्र में की गई व्यवस्था से ग्राम सुलंगी के किसान ‘स्वरूप  ऑचला बहुत खुश है, उन्होंने कहा कि धान बेचने के लिए आज टोकन कटाने कोयलीबेड़ा आया था और आज ही उन्हें टोकन मिल गया है।

अब मैं 10 दिसम्बर को 140 बोरा धान समर्थन मूल्य पर बेचूंगा। ग्राम जिरामतराई के देशीराम पिता चतुर सिंह को भी बिना परेशानी के धान बेचने के लिए टोकन प्राप्त हो गया। कोयलीबेड़ा निवासी राजेन्द्र कौशल भी धान खरीदी के लिए की गई व्यवस्था से खुश है।

उन्होंने कहा कि इस बार धान बेचने में कोई परेशानी नहीं होगी, धान खरीदी केन्द्रों में सरकार द्वारा किसानों के लिए छाया, पानी साहित अन्य सुविधाओं का ध्यान रखा गया है।

नजदीकी गांव में ही धान बेचने की सुविधा से खुश हैं भैंसासूर क्षेत्र के किसान

    दूरस्थ गांवों के किसानों को उनके गांव के नजदीक ही धान बेचने की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा नवीन खरीदी केन्द्रों की स्थापना की गई है ताकि किसान बिना किसी परेशानी के अपनी उपज को सुविधापूर्वक बेच सकें।

अंतागढ़ विकासखण्ड मुख्यालय के धान खरीदी केन्द्र से पृथक 02 नवीन खरीदी केन्द्र पोड़गांव और भैंसासूर बनाये गये हैं। इस सुविधा से उस क्षेत्र के किसान बेहद खुश हैं। भैंसासूर में समर्थन मूल्य पर धान बेचने पहुंचे नया गावड़े गांव के किसान सम्पत राम और कानागांव के किसान बृजलाल कावड़े ने कहा कि ‘‘हमर मन बर ये हा बड़े सुविधा होगे।

पिछू साल अपन गांव ले 15 किलोमीटर दूर चलके अंतागढ़ में जाके धान बेचे रेहेंव, ये साल अपन धान ल भैंसासूर में बेचे हंव अऊ मोला कोई परेशानी घलों नी होईस।’’

गौरतलब है कि भैंसासूर धान खरीदी केन्द्र के 19 गांवों के 853 किसानों को अपने गांव से लगभग 15 से 20 किलोमीटर दूरी तय कर  अंतागढ़ खरीदी केन्द्र में जाकर धान बेचना पड़ता था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने किसानों की परेशानियों को समझा और उन्हें सुगमता पूर्वक धान बेचने की सुविधा प्रदान करने के लिए नवीन धान खरीदी केन्द्र खोले गये।

कांकेर जिले में इस वर्ष 12 नवीन धान खरीदी केन्द्र खोले गये हैं, जिससे उस क्षेत्र के किसानों को आसानी से धान बेचने की सुविधा प्राप्त हुई है।

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